Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में भाजपा (BJP) की सरकार बनने के बाद सरकार नक्सलियों (Naxalites) के सफाए के लिए लगातार बड़े ऑपरेशन को अंजाम दे रही है. इस दौरान सैकड़ों नक्सलियों की सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में अब तक मौत हो चुकी है. इसके बाद भी यहां नक्सलियों के हौसले बुलंद है. हालात ये है कि नक्सलियों के खौफ की वजह से नारायणपुर जिले (Narayanopur District) में वैद्यराज (Vaidhraj) के नाम से मशहूर चिकित्सक हेमचंद मांझी (hemchand Manjhi) ने सोमवार को कहा कि वह नक्सलियों से धमकी मिलने के बाद अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा देंगे.
मांझी ने कहा कि वह जड़ी-बूटियों से इलाज करना भी बंद कर देंगे. 72 वर्षीय मांझी को पिछले महीने देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला था. पुलिस ने बताया कि रविवार रात नक्सलियों ने जिले के छोटे डोंगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत चमेली और गौरदंड गांवों में दो निर्माणाधीन मोबाइल टावरों में आग लगा दी और वहां मांझी को धमकी देने वाले पर्चे फेंके थे. माओवादियों की ओर से फेंके गए पर्चे में मांझी की एक तस्वीर है, जिसमें वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पद्मश्री पुरस्कार लेते दिख रहे हैं. इसके साथ ही पर्चे में माओवादियों ने आरोप लगाया कि मांझी ने नारायणपुर के छोटे डोंगर इलाके में आमदई घाटी लौह अयस्क परियोजना को चालू करने में मदद की थी और इसके लिए उन्हें रिश्वत मिली थी. हालांकि, मांझी ने इस आरोप से इनकार किया है. इससे पहले भी नक्सलियों ने मांझी पर यही आरोप लगाए थे और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी.
मांझी ने नक्सलियों के आरोपो ंको किया खारिज
मांझी ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से बात करते हुए माओवादियों के आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने पहले ही ग्रामीणों को स्पष्ट कर दिया था कि लौह अयस्क खदान से उनका कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि अपने परिवार से चर्चा के बाद पद्मश्री पुरस्कार लौटाने और अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति भी बंद करने का फैसला किया है. मांझी ने कहा कि माओवादी कहते हैं कि मुझे राष्ट्रपति से पुरस्कार कैसे मिल गया. मैंने पुरस्कार की मांग नहीं की थी. यह मुझे लोगों के प्रति मेरी सेवा के लिए मिला है. मैं 20 साल का भी नहीं था, जब से मैं विभिन्न बीमारियों के लिए जड़ी-बूटी दे रहा हूं. खासकर कैंसर के रोगियों के लिए.
भतीजे की हो चुकी है हत्या
वैद्यराज ने कहा कि पहले उन्होंने (नक्सलियों ने) झूठे आरोप लगाकर मेरे भतीजे कोमल मांझी की हत्या कर दी. मेरा परिवार खतरे के साये में जी रहा है. पिछले साल नौ दिसंबर को नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर स्थित छोटे डोंगर में नक्सलियों ने आमदई घाटी लौह अयस्क खदान के लिए एजेंट के रूप में काम करने और भारी पैसा कमाने का आरोप लगाते हुए मांझी के भतीजे कोमल मांझी की हत्या कर दी थी. इसके बाद पुलिस हेमचंद मांझी को नारायणपुर शहर ले आई, जहां वह तीन पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में अपने परिवार के साथ किराए के एक मकान में रह रहे हैं.
इस वर्ष मांझी को मिला था पुरस्कार
मांझी ने कहा कि मुझे नारायणपुर में प्रशासन द्वारा एक घर आवंटित किया गया था, लेकिन उसमें कोई चारदीवारी, पानी की सुविधा और अन्य सुविधाएं नहीं थीं. इसलिए मैंने किराए के घर में रहने का फैसला किया. मैं प्रशासन से उचित घर उपलब्ध कराने की अपील करता हूं. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र नारायणपुर जिले में लगभग 50 वर्ष से लोगों का इलाज कर रहे मांझी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से सम्मानित किया था.
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क्षेत्र के आमदई घाटी में जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जेएनआईएल) को लौह अयस्क खदान आवंटित किया गया है. नक्सली लंबे समय से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं.
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