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Passport Scam: फर्जी पते पर पासपोर्ट; ATS का एक्शन, अफगानी नागरिक समेत अब तक इतने आरोपी गिरफ्तार

Passport Fraud: यह मामला न केवल अंतरराष्ट्रीय नागरिकों द्वारा देश की व्यवस्था में सेंध लगाने का उदाहरण है, बल्कि सरकारी तंत्र में मौजूद कुछ भ्रष्ट कर्मियों की मिलीभगत से देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है. एटीएस अब गिरोह के अन्य सदस्यों और इस नेटवर्क के विस्तार की जांच में जुट गई है.

Passport Scam: फर्जी पते पर पासपोर्ट; ATS का एक्शन, अफगानी नागरिक समेत अब तक इतने आरोपी गिरफ्तार
Passport Fraud: जबलपुर के फर्जी पते पर पासपोर्ट

Passport Document Verification: जबलपुर के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने एक और अफगानी नागरिक मोहम्मद इकबाल (27) को कोलकाता से गिरफ्तार किया है. इकबाल का पासपोर्ट जबलपुर के फर्जी पते पर बनवाया गया था. इससे पहले एटीएस इसी मामले में अफगानी नागरिक अकबर को भी गिरफ्तार कर चुकी है. दोनों आरोपित अफगानी युवक ओमती क्षेत्र में रह रहे सोहबत खान के संपर्क में थे, जो इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.

कैसे होता था सौदा?

पुलिस सूत्रों के अनुसार, पहले सोहबत ने अफगानी नागरिक अकबर का पासपोर्ट डेढ़ लाख रुपये लेकर बनवाया था. जबकि इकबाल से उसने यही काम करने के लिए ढाई लाख रुपये वसूले. यह सौदा कोलकाता में अकबर और इकबाल की मुलाकात के बाद तय हुआ. अकबर ने ही इकबाल को पासपोर्ट बनवाने के लिए सोहबत से मिलवाया था.

पासपोर्ट बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और सत्यापन प्रक्रिया के दौरान इकबाल को नवंबर 2024 में जबलपुर बुलाया गया.

औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इकबाल कोलकाता लौट गया, बाद में पासपोर्ट बनते ही उसे डाक से भेजने की जगह सोहबत ने डाकिए को रिश्वत देकर रास्ते से ही पासपोर्ट हासिल कर लिया और कोरियर के माध्यम से इकबाल तक पहुंचा दिया.

अब तक इतने लोग गिरफ्तार

अब तक इस मामले में तीन अफगानी नागरिकों सहित छह लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. गिरफ्तार आरोपियों में विजयनगर निवासी वन विभाग कर्मी दिनेश गर्ग, कटंगा निवासी पूर्व पासपोर्ट सेवा केंद्र कर्मचारी महेंद्र कुमार सुखदन और रामपुर शंकरशाह नगर निवासी चंदन सिंह शामिल हैं. यह गिरोह अफगानी नागरिकों के लिए आधार कार्ड से लेकर पासपोर्ट तक बनवाने का काम करता था.

इकबाल के बारे में पता चला है कि वह किशोर अवस्था में अपने माता-पिता के साथ अफगानिस्तान से भारत आया था. मां की मृत्यु के बाद पिता ने दूसरा विवाह कर लिया और दुबई शिफ्ट हो गए. इसके बाद इकबाल ने कोलकाता में बसकर अकबर के साथ ब्याज पर पैसा देने का काम शुरू किया. वहीं से वह इस गिरोह के संपर्क में आया.

इस मामले में गिरफ्तार चंदन सिंह की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में एचआईवी संक्रमण की आशंका जताई गई थी, लेकिन विस्तृत रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई. सभी छह आरोपियों को सोमवार को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

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