Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का पारंपरिक त्योहार छेरछेरा पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. छेरछेरा तिहार को, धान फसल के काटने की खुशी में मनाया जाता है, क्योंकि, किसान धान की कटाई और मिसाइ पूरी कर लेते हैं, और लगभग 4 महीने फसल को घर तक लाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उसके बाद फसल को समेट लेने की खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ को कहा जाता है धान का कटोरा
वैसे भी छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. इस प्रदेश के किसान धान की फसल को ज्यादा से ज्यादा पैदा करते हैं और पूरी फसल के उचित निष्पादन के बाद खुशी के रूप में इस त्योहार को मानते हैं. इस दौरान ग्रामीण किसान शेला नाच, मांदर की थाप पर नृत्य करते हैं. ग्रामीण युवतियां सज धजकर सुआ नृत्य करते हुए इस त्यौहार को उत्साह पूर्वक मनाती हैं.
छत्तीसगढ़ में 'धान की फसल काटने' के बाद मनाया जा रहा है पारंपरिक त्योहार 'छेरछेरा'
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) January 25, 2024
पूरी खबर पढ़ें - https://t.co/XsmMhyafck#tradition #ChhattisgarhNews #Farmers #viralvideo #ndtvmpcg pic.twitter.com/arBEJ3ZuAd
ग्रामीण बच्चे हाथ में थैला लिए घर -घर छेरछेरा मांगते हैं
ग्रामीण युवतियां इस त्योहार को लेकर काफी उत्साहित रहती हैं. सभी आपस में मिलकर सज धजकर सुबह नृत्य करते हुए सुआ (मिट्ठू) को एक टोकरी में रखकर छुपा देती हैं, और जिससे उन्हें नेग मिलता है, उसी को सूआ को दिखाती हैं. जबकि ग्रामीण बच्चे हाथ में थैला लिए घर -घर छेरछेरा मांगते हैं, बदले में उन्हें घरों से धान मिलता है, जिसे वह एकत्र कर शाम को अपना त्योहार मनाते हैं. बदले हुए परीदृश्य में आज भी पारंपरिक ढोल मांदर के साथ यह त्योहार गांव में आज भी जीवित है. कुछ परंपराएं आज भी जिंदा हैं, यह इस बात का प्रमाण भी है कि भारत देश और छत्तीसगढ़ प्रदेश गांव में बसता है.
ये भी पढ़ें NDTV एमपी-सीजी की खबर का असर, कुत्ते के काटने से 4 वर्ष के मासूम की मौत पर NHRC ने MCB को भेजा नोटिस