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This Article is From Jul 19, 2023

"बढ़ती कमाई के सूत्र - गोबर और गोमूत्र" : वक्त के साथ-साथ बदल गई है हकीकत

छत्तीसगढ़ CM भूपेश बघेल ने जब कहा था कि गाय के गोबर और गोमूत्र से भी कमाई हो सकती है, सभी चौंक गए थे... लेकिन उन्होंने इसे कर दिखाया... वह अपने राज्य में लाए गोधन न्याय योजना, लेकिन वक्त के साथ इसका नारा बदलकर हो गया है - "घटती कमाई के सूत्र - गोबर और गोमूत्र..."

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब कहा था कि गाय के गोबर और गोमूत्र से भी कमाई हो सकती है तब सभी चौंक गए थे...लेकिन उन्होंने न सिर्फ इसे कहा बल्कि करके भी दिखाया. वे अपने राज्य में योजना लेकर आए गोधन न्याय योजना. जिसका नारा था- बढ़ती कमाई के सूत्र-गोबर और गोमूत्र. शुरू में इससे कुछ किसानों ने मोटी कमाई की...जिसका जमकर प्रचार भी हुआ. खुद राहुल गांधी से छत्तीसगढ़ के एक किसान ने कहा था कि गोबर बेच कर उसने 85 हजार रूपये कमाए, बहू के लिए स्कूटी खरीदी. लेकिन अब भूपेश सरकार सरकार की ये योजना दम तोड़ती दिख रही है. आलम ये है कि अधिकांश गौठानों में गोबर की खरीदी बंद हो गई है. योजना के द्वारा किसानों की कमाई प्रतिदिन 7 रूपये से भी कम हो गई है. ये सब सामने आया है NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में. 

गौठान में गोबर देना बंद किया किसानों ने

योजना का जायजा लेने के लिए सबसे पहले हमारी टीम पहुंची राजधानी रायपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर राजनांदगांव जिले के रेंगाकठेरा गांव में. यहां खेत में जुताई कर रहे धनेश साहू के पिता रामसाय कहते हैं- अब हम पंचायत को गोबर नहीं बेचते. लेकिन पंचायत में अब भी रजिस्ट्रेशन है. जितना गोबर होता है, उसका घर में ही कंडा बनाकर उपयोग कर लेते हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत रामसाय साहू पंजीकृत गोबर विक्रेता हैं और उन्हें सरकार को गोबर बेचकर कुल 2464 रुपये की कमाई हुई है. कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया गांव के पंचायत भवन के पास बैठे 55 वर्षीय मेतूराम साहू भी जताते हैं. उनकी पत्नी बिमला बाई का नाम पंचायत में गोबर विक्रेता के रूप में पंजीकृत है. उनका कहना है कि शुरुआती दौर में गोबर बेचा, लेकिन पिछले साल दिवाली के समय से हमने गौठानों में गोबर देना बंद कर दिया गया.

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गौठान में अब ग्रामीणों में लोगों ने गोबर देना बेहद कम कर दिया है

दिसंबर 2022 की बात है, जब गोबर तौलने से मना कर दिया गया तो मैंने गोठान के गेट पर ही करीब 1 क्विंटल गोबर पटक दिया और तब से अब तक कभी गोबर बेचने नहीं गया. पंचायत में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक योजना की शुरुआत से जून 2023 तक बिमला बाई को गोबर बेचने के एवज में 2358 रुपये का भुगतान हुआ है. इसी बैठकी में शामिल  विशाल वर्मा ने भी अपना दर्द बयां किया. उनकी पत्नी रुक्मणी बाई का नाम विक्रेता के तौर पर दर्ज है लेकिन पंचायत में खरीद की स्थिति देखते हुए उन्होंने भी इसे बेचना बंद कर दिया है.  वे बताते हैं कि रुक्मणी को गोबर बेचकर अब तक मात्र 134 रुपये की कमाई हुई है. हालांकि विशाल के बेटे अखिलेश को गोबर बेचने के एवज में सरकार की ओर से कुल 3360 रुपये का भुगतान किया गया है.

राहुल गांधी से मुलाकात में क्या हुआ था?

हम आपको बता दें कि राजनांदगांव जिले का रेंगाकठेरा गांव सितंबर 2021 में राष्ट्रीय मीडिया में तब चर्चा में आया था, जब इस गांव के निवासी भागवत वर्मा अपने परिवार के साथ जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन के लिए गए थे, वहां इत्तेफाकन उनकी भेंट कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से हो गई. भागवत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भूपेश बघेल सरकार की गोधन न्याय योजना की खूब तारीफ की और बताया कि करीब एक साल में सरकार को गोबर बेचकर उनके परिवार को 85 हजार रुपये की कमाई हुई है, जिससे उनकी बहू के लिए स्कूटी खरीदी गई है. भागवत वर्मा की राहुल गांधी से जम्मू में बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ. राज्य से राष्ट्रीय स्तर की मीडिया में तब ये खबर सुर्खियों में रही.

राहुल से मिलने वाले किसान का अब हाल क्या? 

अब आज के हालात को भी समझ लेते हैं. जब हम भागवत वर्मा से बात करने पहुंचे तो वे कांग्रेस सरकार की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. भागवत गांव के सरपंच रह चुके हैं. भागवत वर्मा के बेटे राजकुमार वर्मा गांव में गोधन न्याय योजना के तहत सबसे ज्यादा 90 हजार 626 रुपये की कमाई करने वाले हितग्राही हैं. उनकी बहू व गांव की पूर्व सरपंच निर्मला वर्मा को जून 2023 तक 28 हजार 684 रुपये का भुगतान गोबर बेचने के एवज में किया गया है. भागवत वर्मा का डेयरी का व्यवसाय भी है. रेंगाकठेरा पंचायत में कुल 119 गोबर विक्रेता पंजीकृत है, जिनमें भागवत के परिवार के तीन सदस्य उनके बेटे, बहू के अलावा उनकी पत्नी का नाम भी शामिल है. यहां गोबर विक्रेताओं को जून 2023 तक कुल 6 लाख 15 हजार 868 रुपये भुगतान किया गया है, जिसमें भागवत वर्मा के परिवार को 1 लाख 19 हजार 307 रुपये का भुगतान हुआ है.

लेकिन जब हमने पंचायत से मिले आंकड़ों पर गौर किया तो पाया कि राहुल गांधी से मुलाकात के बाद सितंबर 2021 से 30 जून 2023 तक भागवत के परिवार के सदस्यों को कुल 34 हजार 307 रुपये का ही भुगतान हुआ. यानी कि शुरू के एक साल के मुकाबले अगले 2 साल में आधे से भी कम राशि का भुगतान हुआ.

इसके बार में पूछने पर बड़ी गंभीरता से पूरी बात सुन रहीं भागवत की पत्नी कुंती बाई अचानक ही कहती हैं- बीच में पंचायत से गोबर की खरीदी बंद कर दी गई थी. इतने में भागवत उन्हें टोकते हैं और कहते हैं हमने ही बेचना कम कर दिया. क्योंकि हम घर में ही वर्मी कंपोस्ट बनाते हैं. 

गुणवत्ता पर सवाल

बालोद जिले के देवरी गांव में भी शाम को बुजुर्गों की बैठकी चल रही है. करीब 70 वर्षीय किसान फकीर साहू कहते हैं कि हमारे घर में रोज 100 किलोग्राम से ज्यादा गोबर निकलता है, लेकिन हम सरकार को नहीं बेचते. गांव के भागमन को छोड़ और कोई नहीं बेचता. 2 रुपये में गोबर लेकर हमीं को 10 रुपये किलो में वर्मी कहकर बेचते हैं. 12 साल की उम्र से किसानी कर रहा हूं सरकार से अच्छा वर्मी तो मैं अपने ही घुरवा में तैयार कर लेता हूं. 

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कई गावं के लोग अब इस योजना में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. क्योंकि अब आमदनी वैसी नहीं रही

जब हम बालोद के ही खुरसवी गांव पहुंचे तो बसंत कुमार बैलगाड़ी पर अपनी पत्नी को बैठाकर खेत जा रहे हैं. वे कहते हैं कि हमारे गांव में तो योजना शुरू होने के 2 साल तक तो गौठान बना ही नहीं था. अभी कुछ महीने पहले ही गोठान में गोबर की खरीदी शुरू की गई है. बालोद के ही चंदनमही गांव के दूबलाल साहू गोधन न्याय योजना से संतुष्ट हैं और कहते हैं कि उन्हें अब तक करीब 12 हजार रुपये की कमाई गोबर बेचने से हुई है.

इनके लिए वरदान से कम नहीं है योजना

कबीरधाम जिले के सिंघारी गांव के पेशे से चरवाहा श्रवण कुमार यादव के लिए राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना किसी वरदान से कम नहीं है. श्रवण गांव वालों की करीब 160 से ज्यादा गायों का गोबर पंचायत को बेचते हैं. इससे उन्हें अब तक 2 लाख 16 हजार 50 रुपये की कमाई हुई. इस रकम से वे 45 हजार रुपये में बंधक रखी 1 एकड़ कृषि भूमि को कर्ज मुक्त कराया और अब उसमें खेती कर रहे हैं. इस योजना से उनका आर्थिक विकास हुआ है. राज्य सरकार द्वारा भी श्रवण कुमार की कहानी को खूब प्रचारित-प्रसारित किया गया है. 1361 जनसंख्या वाले इस गांव में 418 परिवार हैं, जिसमें से 18 लोगों का पंजीयन योजना में हुआ है. इनमें श्रवण सहित कुल 3 लोग ही सक्रिय विक्रेता हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश का चुनाव क्षेत्र भी बेहाल

हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र के औंधी गांव के रहने वाले चरवाहे विष्णु यादव की किस्मत श्रवण कुमार की तरह बुलंद नहीं है. इनके गांव में गोबर खरीदी की व्यवस्था नहीं थी. कुछ महीने पहले ही गौठान बनाया गया है. गोबर विक्रेता के रूप में उनका नाम भी पंजीकृत कर लिया गया है, लेकिन 6 जुलाई 2023 तक उनसे 1 किलोग्राम गोबर भी नहीं खरीदा गया है. यही हाल औंधी गांव रहने वाले चन्द्रहास यदु का भी है.

पाटन विधानसभा क्षेत्र के चर्चित गांव मोतीपुर में सरस्वती के घर से सटी दीवार पर गोधन न्याय योजना के प्रचार में 'बढ़ती कमाई के सूत्र-गोबर और गोमूत्र' का नारा लिखा है, लेकिन सरस्वती को इस योजना की जानकारी नहीं है.

न ही उनके घर में कोई गोवंश है, जिससे वे इस योजना का लाभ ले सकें. दुर्ग जिले के अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के लिमतरा गांव के रहने वाले रामभरोसे यादव साइकिल पर गोबर से भरा घमेला और एक बोरी लादे खेत की ओर जा रहे हैं. पूछने पर बताते हैं कि शुरू में तो सब ठीक था, लेकिन पिछले करीब 1 साल से गोबर खरीदी में टाल मटोल किया जाने लगा. इसलिए वे अब गोबर बेचने की बजाय खेत में डालने लगे हैं. योजना के तहत उन्हें अब तक 10 हजार 202 रुपये का भुगतान किया गया है. इसी गांव के रहने वाला चरवाहा परिवार की इस योजना से आय में सुधार हुआ है. इश्वरी यादव, लक्ष्मी यादव व इन्द्रा यादव को योजना के तहत अब तक गोबर बेचने के एवज में 1 लाख 39 हजार 316 रुपये का भुगतान किया गया है.

सरकार के लिए कितनी महत्वपूर्ण है योजना?

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किसानों में भले ही योजना को लेकर थोड़ी निराशा हो लेकिन सिस्टम को दुरुस्त किया जाए तो किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी

20 जुलाई 2020 से शुरू राजीव गांधी गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की उन प्रमुख योजनाओं में शामिल है, जिसका प्रचार साल 2020 के बाद देश में अब तक हुए सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रमुखता से किया गया है. छत्तीसगढ़ की योजना की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड में भी सरकार द्वारा गोबर की खरीदी की योजना शुरू होने का दावा भी कांग्रेस के नेता करते हैं. राज्य की भूपेश बघेल सरकार और कांग्रेस नेताओं द्वारा लगातार ये दावा किया जाता रहा है कि गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के ग्रामीण पशुपालकों, किसान, भूमिहीन किसानों की आर्थिक स्थिति में बेहतर हुई है. 

मोटी कमाई वाले किसान महज आधा फीसदी !

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक डॉक्टर रमन सिंह द्वारा विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पशुपालन रविन्द्र चौबे की ओर से बताया गया है कि 15 फरवरी 2023 तक की स्थिति में राज्य में कुल 3 लाख 52 हजार 522 गोबर विक्रेता पंजीकृत हैं. सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर गौर करें तो गोधन न्याय योजना के तहत 30 जून 2023 तक गोबर विक्रेताओं को कुल 247.12 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. रमन सिंह के ही एक अन्य सवाल के जवाब में विधानसभा में 23 मार्च को बताया गया कि 15 फरवरी 2023 तक की स्थिति में  1575 ऐसे गोबर विक्रेता हैं जिन्हें 1 लाख से अधिक का भुगतान हुआ. 

यानी कि लगभग 2 साल 7 महीने में राज्य सरकार को गोबर बेचकर 1 लाख रुपये से अधिक की कमाई करने वालों की संख्या कुल पंजीकृत गोबर विक्रेताओं की संख्या का आधा प्रतिशत से भी कम है.

इनमें भी ज्यादातर वे लोग हैं, जो दूध डेयरी संचालक हैं या चरवाहे हैं.

योजना अच्छी, लेकिन...

राज्य के चर्चित किसान नेता और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संघ के संचालक मंडल के सदस्य रुपन चन्द्राकर कहते हैं कि सरकार की गोधन न्याय योजना की नीति और सरकार की मंशा बेशक ही अच्छी है, लेकिन इसके क्रियान्यवयन में लापरवाही और गैर जिम्मेदराना रवैय्या अपनाया गया है. योजना शुरू हुए लगभग 3 साल होने को है, लेकिन अभी कई गांवों में गोबर खरीदी की व्यवस्था शुरू तक नहीं हो पाई है. जहां व्यवस्था है, वहां भी पिछले करीब एक साल से खरीदी सीमित कर दी गई है. हर गौठान में औसतन 60 क्विंटल गोबर की खरीदी ही एक महीने में की जा रही है. वर्मी कंपोस्ट भी गुणवत्ताहीन बनाए जा रहे हैं. कई गौठानों के वर्मी कम्पोस्ट में बड़ी मात्रा में मिट्टी का मिश्रण पाया गया है. 10 रुपये किलो की दर से किसानों को जबरदस्ती वर्मी खाद बेचने की कोशिश हो रही है. वर्मी नहीं लेने पर सोसयटियों में यूरिया, बीज किसानों को नहीं देने की शिकायतें लगातार मिलती हैं. 

कांग्रेस सरकार का कहना है कि वो गोबर खरीदी के नाम पर करोड़ों का भुगतान कर रही है, लेकिन वो पैसे कहां जाते हैं, इसका कोई पता नहीं है. इस ख़रीदी के नाम पर ऐसे-ऐसे लोगों को भुगतान किए गए हैं, जो संबंधित स्थानों पर रहते भी नहीं हैं. गोधन योजना के नाम पर एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार इस सरकार में हुआ है.

रमन सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह कहते हैं कि कांग्रेस सरकार का कहना है कि गोबर खरीदी के नाम पर करोड़ों का भुगतान कांग्रेस सरकार कर रही है, लेकिन वो पैसे कहां जाते हैं, इसका कोई पता नहीं है. इस ख़रीदी के नाम पर ऐसे-ऐसे लोगों के नाम भुगतान किए गए हैं, जो संबंधित स्थानों पर रहते भी नहीं हैं. गोधन योजना के नाम पर एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार इस सरकार में हुआ है.

ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता और पशुपालन मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस योजना से पशुपालकों, गौठान समितियों को प्रत्यक्ष लाभ तो ही रहा है. साथ ही इस योजना के कई परोक्ष लाभ भी हैं. पशु गौठानों में रहते हैं, इसलिए फसल को नुकसान नहीं पहुंचता. इसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है. पैदावार बढ़ रही है. गौठान समितियों में महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. मंत्री चौबे का कहना है कि हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना को लेकर बैठक की है. इसमें निर्देश दिए गए हैं कि जहां खरीदी शुरू नहीं हो पाई है, वहां जल्द से गौठान की व्यवस्था कर खरीदी शुरू की जाए. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस योजना का लाभ पहुंचे.

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