Chhattisgarh News: धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में धान की हर स्तर पर बर्बादी होती दिखाई दे रही है. किसानों के खून पसीने की मेहनत से उत्पन्न धान की खरीदी छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से शुरू हो गई थी. ये खरीदी 4 फरवरी तक चली. इसमें किसानों ने अपना धान समितियों में बेचा. इन समितियों से धान का उठाव 72 घंटे के भीतर होना था, लेकिन धान खरीदी के चार महीने बीत जाने के बाद भी अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया है. जिसके चलते धान खरीदी केंद्रों में धान जाम है.
बारदाने में भरे धान बारिश में भींग कर खराब हो रहे हैं
इधर, बीती रात बलौदा बाजार में हुई बारिश के बाद जब धान खरीदी केंद्रों का जायजा लिया गया तो यहां अव्यवस्था का आलम साफ दिखाई दी. बारिश से न सिर्फ धान भींग गया है, बल्कि धान खराब हो रहा है. सोसायटी के बारदाने में भरे धान खराब होकर सड़ रहे हैं. समिति प्रबंधकों के द्वारा धान का उचित रख रखाव नहीं होने और जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा धान के उठाव पर संज्ञान नहीं लिए जाने के कारण अब ये धान बर्बाद हो रहा है.
धान की नहीं हो रही है मिलिंग
राज्य की राजनीति हो या प्रदेश की सत्ता पाने और सरकार बनाने की बात इसमें पिछले कई वर्षों से प्रमुख भूमिका धान निभाते चले आ रहा है. गांव की गलियों से सदन की बैठकों और सभाओं तक का प्रमुख केन्द्र रहने वाला धान अब सत्ता वापस मिल जाने पर सरकार की प्राथमिकता से हट सा गया है. छत्तीसगढ़ और खासकर बलौदा बाजार में धान की उपेक्षा की जा रही है, जिसके चलते धान समितियों में जाम पड़ा हुआ है. साथ ही डीओ भी नहीं कट रहा है. इसके कारण धान मिलिंग के लिए नहीं जा पा रहा है.
समितियों से मिलर धान नहीं उठा रहे हैं. इससे जहां एक तरफ समिति प्रबंधक धान में नमी कम होने पर सूखाने के लिए परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ बदलते मौसम की वजह से धान और खराब हो रहा है. इतना ही नहीं अब समिति प्रबंधकों की भी लापरवाही सामने आने लगी है. समितियों में बेतरतीब ढंग से धान रखा गया है जिसके कारण धान का ज्यादा नुकसान हो रहा है.
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उत्पादन का 97.45 प्रतिशत धान की हुई खरीदी
इस बार 1 नवबंर से धान खरीदी प्रारंभ हुई थी. प्रदेश में प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा होने के कारण प्रदेश की सरकार बदलते ही घोषणा को अमल में लाया गया. इधर, खरीदी के दौरान लगातार छुट्टी होने और बारिश की वजह से धान खरीदी की तारीख में बदलाव कर 4 फरवरी तक बंफर धान खरीदी की गई है.
खरीदी की गई इस धान में मोटा धान 2 लाख 15 हजार 714 मेट्रिक टन, पतला धान 5 हजार 542 मेट्रिक टन और सरना 6 लाख 50 हजार 907 मेट्रिक टन शामिल है. जिसके एवज में सभी किसानों को कुल 19 सौ करोड़ 40 लाख 4 हजार 32 रुपये राशि का भुगतान पूर्व में ही किया गया था. इसके बाद फिर 799 करोड़ 66 लाख रुपये का भुगतान जिले के 15 सहकारी बैंक शाखाओं के माध्यम किसानों के खाते में राशि का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया गया है.
4 फरवरी तक की गई धान की खरीदी
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Elections) के दौरान घोषणा पत्र में किसानों के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी. इसमें धान को 21 क्विंटल प्रति एकड़ 31 सौ रुपये में खरीदी की जाने की घोषणा की गई थी. इसका परिणाम ये हुआ कि प्रदेश की सत्ता का बागडोर ही बदल गया. प्रदेश में नई सरकार बनने से पहले ही धान खरीदी 1 नवंबर, 2023 से शुरू हो गई थी. बाद में सरकार बदलने और नई सरकार बनने के बाद घोषणा को अमल में लाए जाने से खरीदी 21 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से 4 फरवरी 2024 तक चली.
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खुले आसमान के नीचे पड़ा है खरीदी की हुई धान
इससे धान खरीदी केंद्रों में इस बार बंफर धान की खरीदी हुई है. सभी समितियां निर्धारित लक्ष्य से कई गुना ज्यादा धान खरीद लिए. वहीं अब धान का उठाव नहीं होने के कारण समितियों में धान जाम हो गया है. कुल मिलाकर किसान के खून पसीने की मेहनत से उगाए गए धान ने सरकार तो बना दिया, लेकिन आम आदमी के खून पसीने की कमाई से मिले टैक्स की राशि से खरीदी की गई धान अब भी खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है. इतना ही नहीं इन धानों को ढकने के लिए लगाई गई प्लास्टिक और तिरपाल तेज हवा में उड़ कर फट रहा है. वहीं दूसरी ओर धान की मिलिंग के लिए अब तक नहीं जाना प्रशासन और सरकार के काम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बारिश होने पर धान भींग रहा है और बर्बाद हो रहा है.
कलेक्टर केएल चौहान ने कहा कि राज्य सरकार से इस संबंध में बात कर जल्द धान के उठाव कराने की व्यवस्था की जाएगी.