खैरागढ़, छुईखदान और गंडई को मिलाकर छत्तीसगढ़ का एक नया जिला बनाय गया. 3 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे जिले का दर्जा दिए जाने की घोषणा की थी. खैरागढ़ ललित कलाओं की विधिवत शिक्षा प्रदान करने वाले इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय और खैर के वृक्षों के लिए जाना जाता है. गंडई 15वीं सदी तक शैव और बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र था. छुईखदान यहां मिलने वाली सफेद मिट्टी और पान की खेती के लिए प्रसिद्ध है.
वनोपज और खनिज से समृद्ध जिला
खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिला सघन वन वाला क्षेत्र है इसलिए वनोपज के मामले में काफी समृद्ध है.यहां बड़े स्तर पर कोदो कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख, माहुल पत्ता का संग्रह किया जाता है. यहां वनोपज प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना के लिए 70 लाख की योजना स्वीकृत की गई है. यहां पान और धान की खेती होती है. खैरागढ़ छुईखदान गंडई खनिज संसाधनों से समृद्ध जिला है. खैरागढ़ में चूना पत्थर की खानें हैं, हालांकि वहां चूना पत्थर गौण खनिज है और क्वार्टजाईट, सिलिका जैसे खनिज का उत्पादन होता है. छुईखदान क्षेत्र की खानों से चूना पत्थर का उत्पादन होता है.
ललित कला को समर्पित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय
कला और संगीत की शिक्षा के लिए पूरी तरह से सर्मपित खैरागढ़ का इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया के कुछ चुने हुए विश्वविद्यालय में शामिल है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना खैरागढ़ रियासत के 24वें राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने अपनी बेटी राजकुमारी 'इंदिरा' के नाम पर 14 अक्टूबर 1956 को की थी. विश्वविद्यालय के लिए राजा ने अपना महल 'कमल विलास पैलेस' दे दिया था और आज भी यह विश्वविद्यालय उसी भवन से संचालित हो रहा है. यहां गायन, वादन, नृत्य, नाट्य की विधिवत शिक्षा दी जाती है.
220 करोड़ की लागत से बन रहा है सिद्धबाबा जलाशय
220 करोड़ लागत का निर्माणाधीन सिद्धबाबा जलाशय यहां की तस्वीर बदल सकती है. लमती नदी पर बन रहे इस परियोजना से 34 गांव के लगभग 2 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी. सुरही जलाशय लघु सिंचाई परियोजना की ऊंचाई बढ़ाने की भी योजना है.
खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिले पर एक नजर
- क्षेत्रफल – लगभग 155197 हेक्टेयर
- जनसंख्या – 368444
- गांव- 494
- नगरीय निकाय – 3
- उपखंड – 3
- विधानसभा - एक विधानसभा खैरागढ़