Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला (Korba District) मध्य भारत में किंग कोबरा (king cobra) का एक मात्र घर है. यह दुनिया का सबसे लंबा विषैला सर्प प्रजाति है, जो 18 फीट तक लंबा होता हैं. दो साल पहले इसके संरक्षण के लिए वन विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. इसके जरिए राज्य में पहली बार किंग कोबरा और इसके रहवास के बारे में विस्तृत जानकारियां इकठ्ठा की गई थी. इस दौरान छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के अलग-अलग क्षेत्र से किंग कोबरा की केंचुली और रहवास बिलों की जानकारी इकट्ठा की गई. इससे इस बात की पुष्टि हुई कि किंग कोबरा आम तौर पर कोरबा जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में उनके रहवास है.
बारीकी से अध्ययन के लिए बुलाई निविदा
इस खास प्रजाति के सांप के बारे और बारीकी से अध्ययन करने एवं इनके रहवास का सर्वेक्षण करने के लिए बाकायदा निविदा आमंत्रित की गई थी. इस निविदा का उद्देश्य स्थानीय लोगों को जागरूक करना और उनके माध्यम से इस दुर्लभ सरीसृप का संरक्षण करना और कोरबा जिले में बेहतर सर्पदंश में प्रबंधन करना आदि शामिल किया गया था. निविदा में भाग लेने वाली संस्था नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी रायपुर का चयन किया गया. यह संस्था अगले एक साल तक कोरबा जिले के शहर, ग्रामीण इलाकों और आसपास के वनों में इस दुर्लभ सरीसृप और साथ ही साथ अन्य सरीसृपों पर अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट वन विभाग को देगी.
इन सवालों के ढूंढे जाएंगे जवाब
इस संस्था के कोरबा जिले में कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र सारथी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में किंग कोबरा के बारे में विस्तृत अध्ययन कर इससे जुड़े कई सवाल जैसे क्यों यह जीव सिर्फ कोरबा में ही मिल रहे है. क्या इनकी संख्या घट रही या बढ़ रही है. इनकी संख्या को लेकर कोई समस्याएं तो नहीं है. ऐसे तमाम सवालों की रिपोर्ट और डेटा इकठ्ठा किया जाएगा.
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रिपोर्ट आने के बाद ये है कार्ययोजना
साथ ही किंग कोबरा के रहवास क्षेत्रों के आसपास बसी हुई स्थानीय आबादी को प्रशिक्षण दिया जाएगा कि कैसे उस क्षेत्र में रहते हुए समन्वय बनाकर रहे और मानव और वन्यजीव संघर्ष की स्थिति में काम किया जाए. साथ ही स्कूली बच्चों में इसके बारे में जागरुकता लाने के उद्देश्य से स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे सर्प दंश के पीड़ितों को कैसे तात्कालिक इलाज किया जाए, इसकी जानकारी आदि शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट के दौरान संस्था द्वारा स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग एवं अन्य शासकीय विभागों के साथ समन्वय बना कर एक बेहतर कार्य प्रणाली तैयार किया जाएगा. यह छत्तीसगढ़ राज्य शासन एवं छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा राज्य के कुछ बेहद दुर्लभ और विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण में एक अनुकरणीय पहल है.