CG Civic Election 2025: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद अभी स्क्रूटनी प्रक्रिया जारी है. इस बीच कांग्रेस के लिए झटका और बीजेपी के लिए अच्छी खबर सामने आई है. दरअसल, वोटिंग से पहले ही बीजेपी के दो प्रार्षद उम्मीदवारों की जीत हुई है. बिलासपुर में जाति प्रमाणपत्र जमा न करने की वजह से शहर के वार्ड 13 दीनदयाल नगर मंगला के कांग्रेस प्रत्याशी श्याम पटेल का नामांकन निरस्त हो गया है. इसके अलावा आप प्रत्याशी का नामांकन भी गलत होने पर भाजपा उम्मीदवार रमेश पटेल की जीत का रास्ता साफ हो गया है.
6 नाम निर्देशन पत्र रद्द
नगर निगम बिलासपुर के महापौर और पार्षद पदों के लिए भरे गए नामांकन पत्रों की बुधवार को जांच की गई. इसमें कई कारणों से 6 नाम निर्देशन पत्र निरस्त किए गए. निरस्त नाम निर्देशन पत्रों में वार्ड क्रमांक 13 से आम आदमी के नर्मदा पटेल एवं कांग्रेस प्रत्याशी श्याम पटेल, वार्ड 51 से राजकुमार साहू, वार्ड 52 से अनिता पाटिल, वार्ड 55 से शबनम बेगम एवं वार्ड 68 से मीनाक्षी पटेल शामिल हैं.
निर्विरोध चुनी गईं विद्यावती सिंह
दुर्ग वार्ड 21 से पार्षद पद पर भाजपा की विद्यावती सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हुआ है. कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी मीरा सिंह ने नामांकन वापस ले लिया। जिसके बाद चुनाव आयोग ने विद्यावती सिंह को पार्षद घोषित कर दिया।.
वहीं कोरबा जिले की कटघोरा नगर पालिका परिषद के 2 वार्डों में भाजपा जीत का जश्न मना रही है. वार्ड 13 में भाजपा प्रत्याशी का एकमात्र नामांकन दाखिल हुआ है, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया. इसके अलावा नंबर 18 में कांग्रेस ने बुधवार को नामांकन वापस ले लिया.
कांग्रेस ने श्याम पटेल को निष्कासित किया
बिलासपुर के वार्ड 13 दीनदयाल नगर मंगला से श्याम पटेल पिछली बार भी पार्षद थे। उनको कांग्रेस ने इस बार फिर से प्रत्याशी बनाया था। पिछला चुनाव वे लड़े और जीते भी, इसलिए उनके द्वारा इस बार नामांकन के साथ जाति प्रमाणपत्र जमा न करने को आश्चर्यजनक माना जा रहा है।
क्या जानबूझकर किया गया ये काम?
कांग्रेस ने इस मामले को पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाला काम मानते हुए तत्काल प्रभाव से 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने इस संबन्ध में आदेश जारी कर इसकी कॉपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज सहित अन्य पदाधिकारियों को भेजी है. निष्कासन आदेश में कहा गया है कि उनके द्वारा नाम नामांकन पत्र के साथ ओबीसी वर्ग का जाति प्रमाण पत्र जानबूझकर जमा नहीं किया गया है.
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