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CGMSC Scam: 411 करोड़ रुपये के घोटाले में घिरे 5 आरोपी अफसरों से EOW 28 तक करेगी पूछताछ, जानें- किसकी थी क्या भूमिका

CGMSC घोटाले में 2020 से 2024 के बीच शामिल डिप्टी डायरेक्टर और जीएम समेत पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. विशेष अदालत में पेशी के बाद सभी आरोपियों को 28 मार्च तक EOW की रिमांड पर भेज दिया है.

CGMSC Scam: 411 करोड़ रुपये के घोटाले में घिरे 5 आरोपी अफसरों से EOW 28 तक करेगी पूछताछ, जानें- किसकी थी क्या भूमिका

EOW Action in CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) और स्वास्थ्य विभाग में 411 करोड़ रुपये के रीएजेंट और दवा खरीदी में घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद EOW की टीम एक्शन में आ गई है.  इस मामले में EOW ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन CGMSC के 5 आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार किया है.

इस घोटाले में 2020 से 2024 के बीच शामिल डिप्टी डायरेक्टर और जीएम समेत पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. विशेष अदालत में पेशी के बाद सभी आरोपियों को 28 मार्च तक EOW की रिमांड पर भेज दिया है. बताया जाता है कि यह घोटाला 2020-21 से 2022-23 के दौरान रीएजेंट केमिकल और संबंधित मशीनों की खरीद से जुड़ा है. घोटालेबाजों ने कमीशन के लालच में इतनी अधिक मात्रा में रीएजेंट और मशीन खरीदी कर ली, जिसकी जरूरत ही नहीं थी. इसकी वजह से बड़ी मात्रा में रीजेंट खराब हो गया और मशीनें बिना इस्तेमाल किए ही कबाड़ हो रही है.

अब इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी

पिछले विधानसभा सत्र में EOW को इस घोटाले की जांच सौंपी गई थी, जिसके बाद से लगातार गिरफ्तारियां की जा रही हैं. CGMSC ने यह खरीदी दुर्ग स्थित मोक्षित कॉरपोरेशन से की थी. इस कंपनी के मालिक शशांक चोपड़ा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. अब CGMSC के तत्कालीन जीएम बसंत कौशिक, कमलकांत पाटनवार, दीपक बांधे, खिरौद रतौरिया और स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

गिरफ्तार अधिकारी और उनकी भूमिका

बसंत कौशिक –  प्रतिनियुक्ति पर CGMSC में असिस्टेंट ड्रग्स कंट्रोलर थे. घोटाला सामने आने के बाद हाईकोर्ट की सख्ती के बाद उन्हें हटाया गया. वे तकनीकी कामकाज संभालते थे.

खिरौद रौतिया – ड्रग्स कंट्रोलर और बायोमेडिकल इंजीनियर थे. उनके पास से ही मेडिकल उपकरणों की खरीद प्रक्रिया की निगरानी होती थी.

डॉ. अनिल परसाई – स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर और  हेल्थ डायरेक्ट्रेट में स्टोर इंचार्ज थे. इनके जरिए ही जरूरत न होने के बावजूद रीएजेंट और मशीनों की सप्लाई करवाने की बात सामने आई है.

दीपक बांधे – CGMSC में प्रतिनियुक्ति पर मशीन और केमिकल की जांच के प्रभारी थे, लेकिन इन्होंने मनमाने तरीके से खरीदारी को मंजूरी दी.

कमलकांत पाटनवार –

जीएम (तकनीकी), जो टेंडर जारी करने और अंतिम रूप देने में शामिल थे. आरोप है कि उन्होंने मोक्षित कॉरपोरेशन को फायदा पहुंचाने के लिए अनियमितताएं की.

'भ्रष्टाचारियों को नहीं मिलेगी राहत'

वहीं, अब इस पूरे मामले पर सियासत भी तेज हो गई है. भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने इस घोटाले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेश बघेल सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. अब EOW इस मामले की जांच कर रही है. जांच में दोषी पाए जाने वालों को सजा जरूर मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि विष्णु देव सरकार में किसी भी भ्रष्टाचारी को छोड़ा नहीं जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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