Mega Food Park News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की पूर्व की कांग्रेस सरकार (Congress Government) के कार्यकाल के दौरान नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में मेगा फूड पार्क (Mega food park) की स्थापना की गई थी. इसके लिए जिला मुख्यालय के पास ही 5 एकड़ की भूमि का चयन किया गया था. करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि इसके इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट में खर्च की गई. फूड पार्क की शुरुआत के वक्त उस वक्त के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने दावा किया कि 40 से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी, जिससे नक्सल प्रभावित इलाके के युवाओं को रोजगार मिलेगा.
तीन विकास खंडों में फूड पार्क की स्वीकृति दी थी
फूड पार्क (Food park) को बनकर तैयार हुए करीब ढाई साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इसके पार्क अपने उद्देश्यों को पूरा करता नजर नहीं आ रहा है. हाल ये है कि फूड पार्क अब नशेड़ियों और शराबियों का अड्डा बन गया है. नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की पहचान उद्योग के रूप में हो, इसके लिए प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने जिले के तीनों विकास खंडों में फूड पार्क की स्वीकृति दी थी.
पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया
केवल जिला मुख्यालय में करीब ढाई साल पहले ही फूड पार्क बनकर तैयार है. जिला निर्माण समिति के माध्यम से टेंडर प्रक्रिया पूरी कर फूड पार्क को विकसित किया गया है. चारों ओर सड़कों का जाल बिछाया गया है. साथ ही भूमि को छोटे-छोटे ब्लॉक में बांटा गया है. हैंडओवर होने के बाद से उद्योग विभाग द्वारा भूमि आवंटन प्रक्रिया को पूरी नहीं किया गया, जिसके चलते पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है.
नई सरकार पर टिकी नजरें..
अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिम्मेदार अफसर नए दिशा-निर्देश के लिए उच्च कार्यालय का मुंह ताक रहे हैं. इस पूरे मामले पर सुकमा उद्योग विभाग के महाप्रबंधक जयनारायण भगत ने संचालनालय स्तर पर दिशा-निर्देश नहीं मिलने की बात कह रहे हैं.उन्होंने कहा कि जैसे ही उच्च कार्यालय से निर्देश मिलेंगे विभाग आगे की कार्रवाई करेगा.
फूड पार्क से खुलेंगे रोजगार के अवसर
किसानों को कृषि से जुड़े कारोबार को बढ़ावा देने और नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं को रोजगार से जोड़ने मेगा फूड पार्क की शुरुआत की गई थी.प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने से पहले सरकार के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार के सपने दिखाए थे. फूड पार्क से 15 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार देने का दावा किया गया था.आज हालात ऐसे हैं कि युवाओं को न रोजगार मिल पाया और न ही फूड पार्क अपने उद्देश्यों को पूरा कर रहा है.
करोड़ों रुपये खर्च कर इंफ्रास्ट्रक्चर किया तैयार
सुकमा जिला प्रशासन द्वारा फूड पार्क बनाने मलकानगिरी मार्ग पर 5 एकड़ सरकारी भूमि का अधिग्रहण किया गया. फूड प्रोसेस के लिए फैक्ट्रियां लगाने करोड़ों रुपए खर्च कर इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया गया. इसमें सड़क, नाली, पानी और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की गई.इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के बाद उद्योग विभाग ने भूमि आबंटन की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया.जिसके चलते आज तक फूड पार्क में उद्योग नहीं लग पाए.
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स्थानीय उत्पादों को मिलती पहचान
मेगा फूड पार्क में खाद्य उत्पादों के साथ स्थानीय वनोपज से बनने वाले प्रोडक्ट को भी तैयार करने में मदद मिलती. बस्तर का महुआ विश्व प्रसिद्ध है. इससे शराब ही नहीं बल्कि लड्डू समेत कई प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा बस्तर का इमली भी फेमस है, इन्हीं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए फूड पार्क जैसी जनकल्याणकारी योजना को तैयार किया गया. फूड पार्क में बस्तर के वनोपज से प्रोडक्ट तैयार कर देश-विदेशों में निर्यात किया जाता, जिससे बस्तर के ग्रामीणों को अच्छी आय भी मिलती.
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