CG News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कांग्रेस भवन (Chhattisgarh Congress) के अंदर पीसीसी चीफ दीपक बैज (Deepak Baij) के सामने हुई गाली-गलौज और बवाल पर रार थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस में दो नेताओं के बीच के विवाद में सिर्फ एक नेता को नोटिस देने आग में घी डालने का काम किया है.
दरअसल, बीते 27 नवंबर को कांग्रेस भवन में पीसीसी चीफ दीपक बैज की मौजूदगी में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर रणनीति बनाने की बैठक बुलाई की गई थी. इसमें स्थानीय नेताओं को बोलने से रोकने के मामले ने हंगामा खड़े कर दिया. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं बिलासपुर कांग्रेस पार्टी के प्रभारी सुबोध हरितवाल के बीच तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ.
इस विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजेश पाण्डेय ने घटना को परिवार का विवाद और स्वस्थ चर्चा करार दिया था. इतना ही नहीं अध्यक्ष विजय पांडेय ने कांग्रेस फोरम में कार्यकर्ताओं को बात रखने का अधिकार भी होना बताया था. लेकिन गुरुवार को अध्यक्ष विजय पांडेय अपने ही बयान से यूटर्न हो गए और पूर्व महापौर राजेश पांडेय को 24 घंटे के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उनसे स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा गया है.
आंतरिक कलह उजागर...
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के समक्ष प्रदेश महामंत्री और शहर प्रभारी सुबोध हरितवाल की मौजूदगी में पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय के साथ तीखी बहस छिड़ गई. बहस इतनी बढ़ गई कि बात गाली-गलौज तक पहुंच गई. बैठक के बाद दोनों नेताओं के बीच टकराव और बढ़ गया, जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर अपशब्दों का इस्तेमाल कर तीखे तीर चलते हुए देखने और दिखाने की धमकी देने लगे थे. इस विवाद का वीडियो भी सामने आया, जिसे किसी व्यक्ति ने बैठक के दौरान रिकॉर्ड कर लिया था. यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, कांग्रेस के भीतर की आंतरिक कलह खुल गई और अनुशासनहीनता सार्वजनिक रूप से उजागर हो गई. वीडियो में दोनों नेताओं के बीच हुए अपशब्दों का आदान-प्रदान स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है, जो संगठन की छवि के लिए हानिकारक साबित हुआ.
राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस
भवन में विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि इस अनुशासनहीन आचरण पर वह क्या सफाई देना चाहते हैं. पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनसे तुरंत जवाब मांगा है. प्रदेश कांग्रेस में इस प्रकार की घटना न केवल संगठन की एकता और अनुशासन पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इसे आगामी चुनावों के लिहाज से भी पार्टी के लिए नुकसानदेह माना जा रहा है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के अंदरूनी विवाद सार्वजनिक रूप से सामने आए हो, इससे पहले भी कई नेता आपस में भीड़ चुके है. लेकिन इस घटना ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और अनुशासन संबंधी सवालों को जन्म दे दिया है. इस प्रकार की घटनाओं से कांग्रेस संगठन की छवि और कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होते हैं, खासकर तब जब पार्टी आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण चुनावों की तैयारी कर रही है. पार्टी को इस विवाद से उबरने के लिए आंतरिक अनुशासन और संवाद पर विशेष ध्यान देना होगा.
राजेश पांडेय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने नोटिस थमाया है, उसका जवाब प्रस्तुत किया जाएगा. कांग्रेस में बोलने का अधिकार है और हम कार्यकर्ता अपने अधिकार के लिए बोलने से नहीं चूकते है. बच्चो से भूल होती है तो उसे माफ कर देना चाहिए तो मैंने भी माफ कर दिया है. भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस में भी पूंजीपति नेताओं का बोल बाला है. मुझे प्रदेश संगठन के दबाव में दिया गया नोटिस उसी का उदाहरण है.
सीएम साय ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर प्रदेश के मुखिया विष्णु देव साय ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त दी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अंतर्कलह से उबर नही पा रही है. यही वजह है समय-समय पर कांग्रेस की गुटबाजी भी सामने आती रहती है. इतना ही नहीं झगड़ने की कांग्रेस की परंपरा रही है. हार की वजह से कांग्रेसी बौखलाए हुए हैं.
बहरहाल, अब देखना यह है कि इस विवाद का कांग्रेस के प्रदेश और जिला स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है और पार्टी इस मामले को किस तरह से हल करती है. फिलहाल, कांग्रेस कमेटी ने दोनों पक्षों से विवाद के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के बाद आगामी कार्रवाई करने के संकेत दिये है.
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