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SRC–PRRC में 1000 करोड़ का घोटाला, हाईकोर्ट के आदेश पर CBI जांच, कई बड़े अफसरों के नाम आए सामने

CG News: कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज़ों से पहली नज़र में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आती हैं, अतः निष्पक्ष जांच आवश्यक है. 

SRC–PRRC में 1000 करोड़ का घोटाला, हाईकोर्ट के आदेश पर CBI जांच, कई बड़े अफसरों के नाम आए सामने

Chhattisgarh News: दिव्यांगों के पुनर्वास के नाम पर छत्तीसगढ़ में संचालित SRC (State Resource Centre) और PRRC (Physical Referral Rehabilitation Centre) से जुड़े कथित करोड़ों रुपये के घोटाले की गूंज अब हाईकोर्ट से लेकर CBI तक पहुंच चुकी है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने Writ Petition (PIL) No. 53 of 2018 की सुनवाई के दौरान 30 जनवरी 2020 को आदेश दिया कि मामले की CBI से जांच कराई जाए और FIR दर्ज हो.

ये हैं आरोप 

याचिकाकर्ता का कहना है कि SRC और PRRC का संचालन केवल कागजों पर किया गया. आरोपों के मुताबिक,फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन निकाला गया,कई भुगतानों को नगद दिखाया गया ताकि ट्रैक करना मुश्किल हो.मशीनरी, उपकरण खरीद और उत्पादन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. PRRC के नाम पर कृत्रिम अंग और उपकरण बनाने का दावा तो हुआ, लेकिन लाभार्थियों की सत्यापित सूची उपलब्ध नहीं कराई गई.SRC (एक पंजीकृत सोसाइटी) और PRRC (सरकारी इकाई) के बीच असामान्य वित्तीय संबंध दिखे.

इन अधिकारियों के नाम आए

कोर्ट रिकॉर्ड, याचिकाकर्ता के दस्तावेज़ और मीडिया रिपोर्टों में कई बड़े अधिकारियों व पदाधिकारियों के नाम सामने आए हैं. इनमें पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ,  पूर्व मुख्य सचिव सुनिल कुजूर, पूर्व प्रमुख सूचना आयुक्त एम.के. राउत , प्रधान सचिव / चेयरमैन (CG Vyapam)आलोक शुक्ला , पूर्व IAS अधिकारी बी.एल. अग्रवाल , वरिष्ठ अधिकारी सतीश पांडेय,  पी.पी. सोती  अधिकारी, राजेश तिवारी सोसायटी निदेशक,अशोक तिवारी सोसायटी निदेशक एम.एल. पांडेय  अतिरिक्त निदेशक, समाज कल्याण विभाग, उप निदेशक पंकज वर्मा हेरमन खाल्खो के नाम हैं. 

हाईकोर्ट का आदेश

30 जनवरी 2020 को बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू) ने आदेश दिया कि मामले की जांच CBI करें.

कोर्ट ने कहा कि “दस्तावेज़ों से पहली नज़र में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आती हैं, अतः निष्पक्ष जांच आवश्यक है.”आदेश के आधार पर CBI ने RC दर्ज कर जांच शुरू की और आपराधिक धाराओं (IPC 120B, 420, 409, 467 आदि) के तहत मामला दर्ज किया.

याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता ने अदालत में वित्त सचिव की रिपोर्ट और मुख्य सचिव के हलफनामे का हवाला दिया. उनका कहना है कि बिलासपुर जिले में PRRC के नाम पर भुगतान दिखाया गया जबकि राज्य में सिर्फ एक PRRC बताया गया,नकद भुगतान और फर्जी नामों पर वेतन उठाना गड़बड़ी का स्पष्ट प्रमाण है,मशीनरी व उपकरण का कोई लॉजिस्टिक रिकॉर्ड नहीं है, जबकि प्रतिदिन उत्पादन का दावा किया गया.

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से कहा गया किPRRC में प्रतिदिन 22–25 कृत्रिम अंग बनाए जाते हैं.2012 से अब तक 4,300 से अधिक लाभार्थियों को उपकरण दिए गए,लेकिन कोर्ट में इन दावों को साबित करने के लिए ठोस दस्तावेज़ और लाभार्थियों की सूची पेश नहीं की जा सकी.

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