
CG Forest Department : छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के किल्लोबहारा के जंगल में दफन भालू के शव को घटना के 27 दिन बाद बाहर निकाला गया. लेकिन भालू का शव बाहर आते-आते कई सवाल भी खड़े कर दिए. बालोद जिले के वन विभाग और पशु चिकित्सा विभाग की संयुक्त टीम मौके पर पहुंच भालू के शव को बाहर निकालने का प्रक्रिया प्रारंभ किया.इस दौरान जैसे ही दफन वाले जगह की खुदाई प्रारंभ की गई. महज 1 फिट बाद भालू के चारो पंजे अलग से बाहर आ गया, जिसके बाद करीब 3 फीट खुदाई के बाद भालू का बाकी शरीर को रस्सी से खींचकर बाहर निकाला गया.
पशु चिकित्सा विभाग ने भालू के पंजे और शरीर के अन्य अंगों को फॉरेंसिक जांच के लिए कई अलग-अलग टुकड़ों में सैंपलिंग लिया गया. पूरे मामले वन विभाग के एसडीओ कि माने तो मामले की जानकारी मीडिया के माध्यम से सामने आने के बाद वन विभाग ने जांच टीम बनाई. शव को बाहर निकालने के बाद मृत भालू के शरीर के सारे अंग मौजूद होने की बात कही गई.
भालू के पंजे अलग-अलग मिले
वहीं, इस पूरे मामले में भालू के मौत के कारण और अन्य मामलों की जानकारी फॉरेंसिक जांच के बाद ही सामने आने की बात कहते नजर आए. वहीं, भालू के पंजे अलग-अलग मिलने के मामले पर भी वन अधिकारी ने कहा की इसकी जानकारी भी फॉरेंसिक जांच के बाद सामने आएंगे.
तीन डॉक्टर्स की बनाई गई टीम
पूरी रिपोर्ट सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई किए जाने की बात कहते नजर आए, जबकि भालू को बिना पोस्टमार्टम और विभागीय सूचना दिए बगैर दफन किए जाने के मामले में भी जांच टीम गठित किए जाने और सभी बिंदुओं की जांच किए जाने की बात कही गई. वहीं, इस पूरे मामले पर पशु चिकित्सा विभाग की अधिकारी कि माने तो भालू के शव का पोस्टमार्टम करने 3 डॉक्टरों की टीम बनाई गई थी. भालू का शव डी कंपोज्ड होने के कारण शव का सैंपल लेकर वन विभाग के माध्यम से फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है.
क्या है मौत का राज ?
आपको बता दें, भालू का शव भले ही बाहर निकाल लिया गया. लेकिन भालू के मौत और दफन का राज अब भी बाहर आना बाकी है. क्योंकि जिस शव को बाहर निकाला गया. वह पूरी तरह सड़ चुका है. शव बाहर आते आते खुद सवाल खड़े कर दिया. क्योंकि शव से पहले पंजा बाहर आया.
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अभी फोरेंसिक रिपोर्ट आना बाकी
वहीं, मामले पर न जिम्मेदार विभाग कुछ कह पाया न ही शव का पोस्टमार्टम करने वाली पशु चिकित्सा विभाग. इस पूरे मामले में अभी फोरेंसिक रिपोर्ट आना बाकी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार फोरेंसिक जांच देशभर में 3 से 4 जगहों पर की जाती है. इसकी रिपोर्ट आने में 1 माह तक समय लग सकता है, जिसके बाद ही मामले का खुलासा हो पाएगा.
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