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Kawardha News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कवर्धा के पंडरिया विकासखंड के कुकदूर में एक पिकअप पलटने से संरक्षित बैगा जनजाति के 18 मजदूरों की मौत ने प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है. दरअसल, इस हादसे की सबसे दुखद पहलू ये है कि चिलचिलाती गर्मी के बीच एक छोटे से पिकअप में 36 मजदूरों के साथ ही तेंदू पत्ता भी ले जाया जा रहा था, जबकि, जिन मजदूरों की इस हादसे में मौत हुई है. वे सभी संरक्षित बैगा आदिसावी समाज के हैं, जिसके संरक्षण के नाम पर हर वर्ष करोड़ों का बजट खर्च किया जाता है.
बैगा छत्तीसगढ़ की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है, 2011 की जनगणना में छत्तीसगढ़ में इनकी जनसंख्या 89 हजार 744 थी. राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्य रूप से कवर्धा और बिलासपुर जिले में पाए जाते हैं.
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हादसे से उठते सवाल
कवर्धा में तेंदूपत्ता तोड़कर लौट रहे मजदूरों से भरी पिकअप के खाई में गिर जाने से 19 मजदूरों की मौत ने प्रशासन को भी कटघरे में ला खड़ा किया है. दरअसल, जिस पिकअप के पलट कर खाई में गिरने से ये हादसा हुआ है, उसमें 36 मजदूर सवार थे. इसके साथ ही इन सभी मजदूरों के तेंदूपत्ते भी इस गाड़ी में रखे हुए थे. यानी चिलचिलाती धूप में छोटी सी गाड़ी में इतने लोगों को बैठाने के साथ ही तेंदूपत्ता भी लादा गया था. इस तरह एक पहाड़ी इलाके में Overloaded पिकअप लोगों की जान से खेलते हुए सफर कर रहा था, जो कि हादसे का शिकार हो गया. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब ये सभी मजदूर संरक्षित जनजाति के थे, फिर इनको इतनी लापरवाही के साथ कैसे ले जाया जा रहा था.
तेंदू पत्ते के लिए इस तरह मजदूरों का जंगल में जाना आम बात है
इस हादसे के ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए पहुंचे सतीश पात्रा ने पाया कि इस इलाके में तेंदूपत्ता मजदूरों को इस तरह से जंगल जाना और आना आम बात है. दरअसल ये लोग शेयरिंग कर गाड़ी किराए पर लेकर जंगल जाते हैं और वहां से तेंदू पत्ता तोड़कर फिर गाड़ी से ही लौटते हैं. इसी तरह सोमवार को भी तेंदू पत्ता लेकर आ रहे मजदूरों के समूह से भरा पिकअप गाड़ी खाई में पलट गई, जिसमें 18 लोगों की जान चली गई.
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जांच के बाद होगी कार्रवाई
कवर्धा हादसे पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने दुख जताते हुए कहा कि जांच के बाद हादसे का कारण पता चलेगा. प्रशासन फिलहाल लोगों को राहत पहुंचाने में जुटा हुआ है. जांच के बाद जो भी तथ्य आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
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