
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पवित्र नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने की योजना बना रही है. इसके लिये बाकायदा नर्मदा सेवा सेना के गठन का फैसला लिया गया है. नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन दायिनी, पुण्य सलीला माना जाता है. उसे जीवित इकाई का दर्जा है, ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस नर्मदा के बहाने बीजेपी के हिन्दुत्व की धार को भी कुंद करना चाहती है. भगवान शिव से जुड़ी नर्मदा के संरक्षण और सत्तारूढ़ भाजपा की उसे साफ बनाए रखने में कथित विफलता पर प्रकाश डालते हुए, कांग्रेस नियमित रूप से नर्मदा आरती भी करेगी और घाट पर सीढ़ियों को भी साफ करेगी.
28 जुलाई से उन जिलों में जहां नर्मदा बहती हैं, उसके तट पर रहने वाले लोगों को इसका सदस्य बनाया जाएगा. नर्मदा सेवा सेना के बारे में पूछे गये सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, 'हम नर्मदा सेवा सेना बना रहे हैं. यह गैर राजनीतिक है. 28 इलाकों में जहां से नर्मदा गुजरती है, वहां सदस्य बनाए जाएंगे. शिवराज सिंह चौहान भी इसके सदस्य बन सकते हैं, मुझे ऐतराज नहीं है. अगर वे मान जाएं कि नर्मदा में रेत का धंधा बंद हो जाएगा तो मैं शिवराज सिंह को भी इसका सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करता हूं.
नर्मदा सेवा सेना के बैनर तले, कांग्रेस मध्य प्रदेश में नदी के 1,077 किलोमीटर के विस्तार में, इसके उद्गम स्थल अनुपपुर जिले के अमरकंटक के अलावा बड़वानी और अलीराजपुर जिलों जैसे गुजरात की सीमा से सटे जिलों में बड़ी संख्या में स्थानीय समितियां बनाएगी. विशेषज्ञों की मदद से, नदी के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करेगी और उन स्थानों की पहचान करेगी जहां पानी नहाने और पीने के लिए उपयुक्त नहीं है.
उन बिंदुओं की भी पहचान की जाएगी जहां नदी में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट को मिलाया जाता है और इसे खत्म करने के लिये शिवराज सिंह चौहान सरकार पर दबाव बनाएगी. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी बड़े पैमाने पर रेत खनन का मुद्दा भी उठाएगी. नदी किनारे सघन वृक्षारोपण किया जाएगा, भारतीय मानक ब्यूरो के मुताबिक पानी की गुणवत्ता बनाये रखने का नियमानुसार प्रयास किया जाएगा.
कांग्रेस के ऐलान पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हमला बोलते हुए कहा, 'हमने कोई भी आईफा अवॉर्ड नहीं कराया, न हम जैकलीन को लाए, न सलमान को लाए, क्या जांच कराओगे. कमलनाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब नर्मदा में खूब अवैध खनन हुआ.'
विधानसभा चुनाव होने में चार महीने से भी कम समय बचा है, विपक्षी दल राज्य के सभी 52 जिलों और 230 विधानसभा क्षेत्रों में रामायण, भगवद गीता और शिव पुराण का पाठ करने की भी योजना बना रहा है. भाजपा के "नरम हिंदुत्व" के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, मध्य प्रदेश के पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा ने पिछले महीने एनडीटीवी से कहा था, "भाजपा भगवान राम को सीताजी से अलग करती है, हम जय सियाराम कहते हैं, वे जय श्रीराम कहते हैं... वे धर्म की राजनीति करते हैं." हम धर्म का पालन करके राजनीति करते हैं, चाहे वह भगवान कृष्ण हों, भगवान राम हों. वे न्याय के देवता हैं. हिमाचल, कर्नाटक में क्या हुआ - भगवान मध्य प्रदेश में भी वही न्याय करेंगे."
बीजेपी ने कांग्रेस के आयोजनों को 'धोखा' करार दिया था, लेकिन जीत का दावा भी किया था. पार्टी नेता राजपाल सिसौदिया ने कहा था, ''जो लोग कव्वाली और उर्स के पोस्टरों पर नजर आते थे, वे आज भागवत में नजर आते हैं. यही बदलाव आया है. यह हमारी सोच की जीत है.''