
Golden Banyan Award: केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड (एमपीटीबी) को हेरिटेज वीक अवॉर्ड्स 2025 में हेरिटेज टूरिज्म – बेस्ट स्टेट श्रेणी में प्रतिष्ठित "गोल्डन बैनयन अवॉर्ड" से सम्मानित किया. एमपी को यह सम्मान 13 सितम्बर को राजधानी दिल्ली में आयोजित हेरीटेज अवॉर्ड्स समारोह में दिया गया.
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MP पर्यटन मंत्री बोले, भारत की सभ्यता का जीवंत प्रतीक है मध्य प्रदेश
एमपी को मिले प्रतिष्ठित गोल्डन बनयान अवॉर्ड पर प्रतिक्रिया देते हुए पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि मध्य प्रदेश भारत की सभ्यता का जीवंत प्रतीक है. खजुराहो के भव्य मंदिर, ग्वालियर के ऐतिहासिक किले और महेश्वर के घाट हमारी धरोहर की कालातीत गरिमा और सतत प्रासंगिकता को दर्शाते हैं.
प्रतिष्ठित गोल्डन बनयान अवॉर्ड मध्य प्रदेश की उस सोच का प्रमाण है
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश धरोहर संरक्षण को जनभागीदारी से जोड़ते हुए पर्यटन आधारित विकास का सशक्त माध्यम बना रहा है. वहीं, अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने कहा कि यह अवॉर्ड मध्य प्रदेश की उस सोच का प्रमाण है, जिसके तहत हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि स्थानीय लोगों को पर्यटन से सीधा लाभ मिले.
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MP को भारत का प्रमुख हेरिटेज डेस्टिनेशन बनाने की प्रेरणा देता है सम्मान
हमारा ध्यान ऐतिहासिक स्थलों के नए उपयोग, परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटक भागीदारी पर रहा है यह सम्मान हमें और प्रेरणा देता है कि मध्य प्रदेश को भारत का प्रमुख हेरिटेज डेस्टिनेशन बनाया जाए, जहां हर स्मारक एक कहानी कहे और हर परंपरा अपनी पहचान के साथ जीवित रहे.
ऐतिहासिक व सांस्कृतिक गहराई को दर्शाते हैं 3 स्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर
गौरतलब है मध्य प्रदेश की तीन स्थायी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल क्रमशः खजुराहो समूह के मंदिर, भीमबेटका शैलचित्र स्थल, और सांची स्तूप इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गहराई को दर्शाते हैं. इसके अतिरिक्त खजुराहो, ओरछा, मांडू और चंदेरी जैसे ऐतिहासिक नगरों का संरक्षण और संवर्धन इस दिशा में एक सशक्त उदाहरण है.
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वैश्विक महत्व को रेखांकित करते हैं यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल 18 स्थल
उल्लेखनीय है एमपी के पुरातात्विक स्थलों पर संरचनात्मक संरक्षण, आधुनिक सुविधाओं का विकास व डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर विरासत को जनमानस से जोड़ने का कार्य निरंतर जारी है. यह यात्रा केवल अतीत के गौरव तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यटन, स्थानीय रोजगार व सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को नई गति देने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम है.