जबलपुर के पुलिस अधीक्षक तुषारकांत विद्यार्थी ने अपने करियर में कई दुर्दांत डाकुओं का अंत किया है. नीमच में जब वे पदस्थापित थे तब उनकी टीम ने 12 अधिक डकैतों का एनकाउंटर किया था. जिसके लिए उन्हें दो बार राष्ट्रपति शौर्य पदक से सम्मानित किया गया है. इसी दौरान उन्हें नव भारत ग्रुप द्वारा ग्वालियर में पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड भी मिला है. डकैतों पर शिकंजा कसने के लिए उन्हें 'लेफ्टिनेंट गौतम शहीद' पुरुस्कार से भी नवाजा गया. खुद तुषार राष्ट्रपति से सम्मानित होना अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं. वे एक दिलचस्प किस्सा भी बताते हैं. जिसके मुताबिक वे एक कुख्यात डकैत का पीछा करते हुए वे डबरा से दतिया जिले में चले गए थे. दूसरे जिल में जाकर उनकी टीम ने डाकू का एनकाउंटर किया. इसी दौरान दतिया पुलिस ने उन्हें घेर लिया और हत्या का मामला बनाया गया. लेकिन जांच समिति के सामने वो और उनकी टीम निर्दोष साबित हुई.
मध्यप्रदेश के ही छतरपुर में जन्मे तुषारकांत की प्राथमिक शिक्षा छतरपुर से ही हुई. वहीं से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद वे 2009 में भारतीय पुलिस सेवा में आए. तुषारकांत विद्यार्थी ने अब तक पुलिस अधीक्षक रेल पुलिस भोपाल , पुलिस अधीक्षक नीमच, मंदसौर, सिंगरौली और निवाड़ी के पदों पर कार्य किए हैं. एक साल तक कोसोवो में उन्होंने शांति सेना में भी सेवाएं दी. उन्होंने सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना पसंद है. इसके बाद पूरे समय दफ्तर के काम में व्यस्त रहते हैं.
जिले में वर्क कल्चर के बारे में पुलिस कप्तान तुषारकांत का कहना है कि उनके पास महज 3500 का स्टाफ है जो स्वीकृत बल से 750 कम हैं. इसी में वीआईपी ड्यूटी, फेस्टिवल और पब्लिक प्रोग्राम को मैनेज करना होता है. उनका कहना है कि जबलपुर एक संवेदनशील जिला है, यहां सांप्रदायिक घटनाओं का भी इतिहास रहा है ,लेकिन वे मानते हैं कि उनके कार्यकाल में इस तरह की कोई गड़बड़ न होना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने जिले में महिलाओं और बुजुर्गों के लिए आपरेशन शक्ति और चेतना अभियान चलाया है. हिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 1090 बनाया है और इसे व्यापक रूप से प्रचारित भी किया है. साइबर क्राइम को रोकने के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर 1930 शुरू किया है. यहां एसपी रहते हुए ही उन्होंने ज्योति अभियान शुरू किया है. इसके तहत एसपी पाठशाला शुरू की गई है. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसमें से इस साल 18 बच्चों ने अलग-अलग परीक्षाओं में सफलता हासिल की है.