छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आज भी कई ऐसे दुरुस्त इलाके हैं, जहां बुनियादी शिक्षा व्यवस्था भी बच्चों को नसीब नहीं हो पा रही है. जहां नए शिक्षण सत्र में सब ठीक ठाक चल रहा है. पर बच्चों के पास अपना बताने के लिए स्कूल नहीं है. कभी गोटूल, तो कभी शिक्षक के घर और कभी रसोईया के घर बैठ पढ़ना पड़ता है. यह हाल केवल एक स्कूल का नहीं है, बल्कि जिले के 44 स्कूलों का है. जिनके पास खुद का भवन ही नहीं है... यही नहीं, 146 स्कूल भवन जर्जर हालत में है... बच्चे जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करते है. शासन प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही से बच्चों का भविष्य अंधकार में है.