4 दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा (Sukma) जिले की तस्वीर अब बदल रही है. जिला प्रशासन द्वारा कई दशकों के बाद फिर से ग्रामीण सुदूर इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की है. यह बस सुकमा के अंदरूनी इलाकों के लिए लाईफ लाईन का रूप ले चुकी है. इस बस सेवा का गोंडी शब्द हक्कुम यानी संदेशवाहक का नाम दिया गया है. इसके पीछे रिमोट इलाकों के गांवों के बीच संदेश और आपस में जोडना पुलिस और प्रशासन का उद्देश्य रहा है. इस साल फरवरी से यह बस सेवा पीपीपी मॉडल (PPP Model) के साथ शुरू की गई. नीति आयोग की फंड से फिलहाल 4 रिमोट इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की गई है. पहले चरण में जगरगुंडा-कोंटा (130 किमी), तोंगपाल-सुकमा व्हाया छिंदगढ़ (140 किमी), भूसारास आलेर व्हाया सुकमा (70 किमी) और किस्टाराम से सुकमा तक (112 किमी) हक्कुम बसें दौड़ रही हैं. दरअसल इन मार्गों में लंबे समय बाद शुरू हुई बसों से लगभग 15 हजार यात्रियों को सीधा सुकमा मुख्यालय से जोड़ने का मौका मिलेगा.