Norway Chess 2024: भारत के स्टार शतरंज खिलाड़ी रमेशबाबू प्रग्नानंदा (Rameshbabu Praggnanandhaa) ने क्लासिकल शतरंज में दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) को हराकर नया इतिहास रच दिया है, उनकी इस जीत पर सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देेने वालों का तांता लग गया है. भारत के इस युवा खिलाड़ी ने नॉर्वे चेस 2024 (Norway Chess 2024) के तीसरे दौर में सफेद मोहरों से खेलते हुए मैग्नस कार्लसन को हराया. 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर (Indian Grandmaster) ने कार्लसन के खिलाफ उनके घरेलू मैदान पर 5.5 अंकों के साथ लीडर पोजीशन हासिल की. कार्लसन और प्रग्नानंदा ने इस प्रारूप में अपने पिछले तीन मुकाबलों में ड्रॉ खेला था, जिनमें से दो विश्व कप 2023 फाइनल में थे. प्रग्नानंदा की विश्व में नंबर 1 नॉर्वे के खिलाड़ी पर जीत के बाद, सोशल मीडिया (Social Media) पर बधाई देने वालों का तांता लग गया.
ऐसे मिल रही है बधाई
सोशल मीडिया एक्स पर एक प्रशंसक ने लिखा, "भारत से नई वैश्विक सनसनी!" एक अन्य यूजर ने लिखा, "एक शानदार न्यूज के साथ एक अच्छी सुबह. भारत के 18 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी #प्रग्नानंदा ने क्लासिकल गेम में पहली बार विश्व में नंबर 1 #मैग्नस कार्लसन को हराने में कामयाबी हासिल की. एक प्रशंसक ने एक्स पर पोस्ट किया, "यह जीत वाकई खास है, कार्लसन को उनके घर में हराना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है."
एक यूजर ने लिखा, "आर प्रग्नानंदा आप शानदार हैं. निश्चित रूप से हमें एक अगला विश्वनाथन आनंद मिलने वाला है."
यह प्रग्नानंदा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, वह पिछले साल वर्ल्ड कप में मैग्नस कार्लसन से हार गए थे. संयोग से प्रग्नानंदा कार्लसन को क्लासिकल चेस में हराने वाले केवल चौथे भारतीय हैं.
मेरी क्षमताओं पर भरोसा रखने के लिए अदाणी समूह को धन्यवाद : प्रग्नानंदा
इस साल जनवरी के शुरुआती दिनों में गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने ‘एक्स' पर प्रग्नानंदा के साथ मुलाकात की अपनी फोटो साझा की थी, जिसमें उन्होंने प्रग्नानंदा को भारत के अनगिनत युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया था. गौतम अदाणी ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि "प्रग्नानंदा को सपोर्ट करना गर्व की बात है, वह शतंरज की दुनिया में लगातार परचम लहरा रहे हैं और भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं." उन्होंने आगे लिखा कि "उनकी सफलता अनगिनत युवा भारतीयों के लिए यह भरोसा दिलाने के लिए प्रेरणा है कि पोडियम पर खड़े होकर देश की महानता का जश्न मनाने से ज्यादा संतुष्टिदायक कुछ भी नहीं है."
गौतम अदाणी ने आखिरी में लिखा कि "भारत क्या कर सकता है और क्या होगा, प्रग्नानंदा इसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं."
प्रग्नानंदा की सफलता में अहम योगदान उनकी मां नागलक्ष्मी का है. उनकी मां देश हो या विदेश हर जगह उनके साथ होती हैं और उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती हैं. नागलक्ष्मी का पूरा जीवन प्रज्ञानंद और उनकी बहन वैशाली को अपने वर्गों में विश्व ग्रैंडमास्टर बनाने में बीता है.
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