Rubina Francis won bronze medal in Paris Paralympics 2024: जबलपुर की बेटी रूबीना फ्रांसिस ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर अपने शहर और देश का मान बढ़ाया है. रूबीना का सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. एक साधारण परिवार से आने वाली रूबीना के पिता साइमन फ्रांसिस एक मैकेनिक हैं, जो दिन-रात मेहनत कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं.
प्रधानमंत्री ने बढ़ाया हौसला: रुबीना की मां
वहीं पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के बाद रूबीना के माता पिता से NDTV ने खास बातचीत की.
रूबीना के मां ने कहा कि गन फॉर ग्लोरी अकादमी से कॉल आया. उन्होंने बताया कि आपकी बेटी कांस्य मेडल जीतीं है. मैं इस खुशी को जाहिर नहीं कर सकती हूं. प्रधानमंत्री ने मेरी बेटी की काफी हौसला बढ़ाया.
मां ने आगे कहा कि उस समय एकादमी से निशांत सर का कॉल आया था कि आप अपनी बेटी को निशानेबाजी में आगे बढ़ाइये. हालांकि तब उसके पिता ने मना कर दिया था, क्योंकि हमलोग गरीब परिवार से आते थे और हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं थे. इस खेल में काफी पैसे लगते थे. जिसके बाद उन्होंने समझाया और बोला कि आप उसे आगे बढ़ाइये हम सब उसे सपोर्ट करेंगे. पैसों की चिंता ना करें.
उन्होंने आगे इसके बाद उसने निशानेबाजी में दाखिला ले लिया, जिसके बाद उसके पिता ने काफी संघर्ष किया. उन्होंने काम छोड़कर उसे हर दिन शूटिंग के लिए सेंटर पहुंचाते थे. वो पढ़ने में काफी मेहनती थी. उसने भोपाल के तात्या टोपे और फिर दिल्ली से निशानेबाजी में ट्रेनिंग ली.
मां सुनीता फ्रांसिस ने कहा, 'मैंने मैच नहीं देखा. उस समय मैं भगवान से प्रार्थना कर रही थी, लेकिन उसके पिता ने पूरा मैच देखा. मैं ईश्वर से यही प्रर्थना करती हूं कि मेरी बेटी और आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें.
रुबीना के कांस्य पदक जीतने पर पिता ने क्या कहा
रुबीना के पिता ने कहा कि हमलोगों टीवी देख रहे थे तभी गन फॉर ग्लोरी अकाडमी से कॉल आया और उन्होंने बधाई देते हुए ये जानकारी दी कि बेटी ने मेडल हासिल की है.
रूबीना की इस अद्वितीय उपलब्धि पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें बधाई संदेश भेजा और ट्वीट कर अपनी शुभकामनाएं दीं.
सीएम मोहन यादव ने भी दी बधाई
सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'भारतीय निशानेबाज और जबलपुर की बेटी रूबीना फ्रांसिस को पेरिस पैरालंपिक-2024 में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. बेटी रूबीना आपकी यह जीत देश के साथ-साथ प्रदेश के युवाओं, विशेष रूप से बेटियों के लिए प्रेरणादायक है. यह जीत संघर्ष से सफलता तक के मार्ग को प्रकट करती है.'
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि रूबीना की जीत का यह क्रम निरंतर चलता रहे और वो इसी तरह मध्य प्रदेश और देश को गौरवान्वित करती रहें.
गरीबी और दिव्यांगता को हराकर कैसे पेरिस पैरालंपिक तक पहुंची रूबीना
रूबीना ने जबलपुर की गन फॉर ग्लोरी से अपनी निशानेबाजी की ट्रेनिंग की शुरुआत की. कड़ी मेहनत और संघर्ष के बदौलत उन्होंने धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा को निखारा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. बता दें कि रूबीना का बचपन बेहद गरीबी में बीता. जन्म से रूबीना के दोनों पैर तिरछे थे. हालांकि परिवार ने खूब इलाज कराया, लेकिन इसमें थोड़ी सफलता मिली और वो पूरी तरह से ठीक नहीं हो पायी. रूबीना का एक भाई एलेक्जेंडर भी है. वहीं पिता साइमन ने गाड़ी मिस्त्री का कार्य कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं.
साल 2014 में रूबीना 'गन फॉर ग्लोरी शूटिंग अकादमी' के प्रतिभा खोज चयन स्पर्धा से निशानेबाजी से जुड़ी. उस समय वो सेंट अलायसियस स्कूल पोलीपाथर में पढ़ाई कर रही थी. बेटी की निशानेबाजी में रूचि को देखते हुए परिवार ने काफी प्रोत्साहित किया. वहीं चयन स्पर्धा में सिलेक्ट होने के बाद रूबीना को निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया.
रूबीना की इस सफलता ने न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और भारत को गर्वित किया है. उनकी इस उपलब्धि ने दिखा दिया है कि दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत, और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. रूबीना का यह पदक जीतना न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. उनके इस संघर्षमय सफर और सफलता को प्रदेश और देश के युवा हमेशा याद रखेंगे.
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