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This Article is From Jul 10, 2023

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद का मध्यप्रदेश से है खास नाता, इस कनेक्शन के बारे में शायद ही जानते होंगे आप

भारत में हॉकी का नाम लेने पर सभी की जुबान पर सबसे पहले नाम जिस खिलाड़ी का आता है वो है मेजर ध्यान चंद. ध्यान चंद सिंह उर्फ मेजर ध्यान चंद, जिन्होंने हॉकी स्टीक कुछ इस तरह से घुमाई कि लोग उन्हें 'जादूगर' कहने लगे.

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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद का मध्यप्रदेश से है खास नाता, इस कनेक्शन के बारे में शायद ही जानते होंगे आप

भारत में हॉकी का नाम लेने पर सभी की जुबान पर सबसे पहले नाम जिस खिलाड़ी का आता है वो है मेजर ध्यान चंद. ध्यान चंद सिंह उर्फ मेजर ध्यान चंद , जिन्होंने हॉकी स्टीक कुछ इस तरह से घुमाई कि लोग उन्हें 'जादूगर' कहने लगे. हॉकी के इस जादूगर का जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. ध्यान चंद सिंह ने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन था. उनके प्रदर्शन के दम पर टीम ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम करने में सफल हुई थी. मेजर ध्यान चंद को दुनिया के सबसे बेहतरीन हॉकी खिलाड़ियों की सूची में शामिल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हॉकी के जादूगर का मध्यप्रदेश से एक खास नाता है.

मध्यप्रदेश से है खास नाता

16 साल की उम्र में भारतीय सेना में एक सिपाही के तौर पर शामिल होने वाले ध्यान सिंह ने अपने 22 साल के करियर के दौरान करीब 400 अंतरराष्ट्रीय गोल दागे. मेजर ध्यान चंद का जन्म भले ही इलाहाबाद में हुआ, लेकिन मध्यप्रदेश के ग्वालियर से उनका खास नाता रहा. दरअसल, इस खिलाड़ी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. इसके अलावा मेजर ध्यान चंद इसी कॉलेज के खेल मैदान पर घण्टों गोल मारने की प्रैक्टिस किया करते थे. मेजर ध्यान चंद ने हॉकी के शुरुआती दिनों में ग्वालियर में जमकर प्रैक्टिस की थी. ध्यानचंद ने 1932 में विक्टोरिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था.

न्यूजीलैंड दौरे पर किया कमाल

भारतीय टीम 1926 में न्यूजीलैंड दौरे पर गई थी. मेजर ध्यान चंद ने इस दौरान धमाकेदार प्रदर्शन किया. भारतीय टीम ने 18 मुकाबलों में जीत दर्ज की जबकि टीम को सिर्फ एक में हार का सामना करना पड़ा वहीं दो मैच ड्रा पर समाप्त हुए. ध्यान चंद के इस धमाकेदार प्रदर्शन के बाद उन्हें इसका इनाम मिला और वापसी पर उन्हें अंग्रेजों ने आर्मी में उनकी पोस्ट ‘लान्स नाइक' कर दी.

ओलंपिक में दिखाया जलवा

ध्यानचंद ने इसके बाद एम्सटर्डम ओलंपिक में धमाकेदार प्रदर्शन किया और टीम ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया. ध्यानचंद ने इस ओलंपिक में 5 मैचों में 14 गोल किए और वो टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर थे. ध्यान चंद को 136 ओलंपकि के लिए टीम का कप्तान बनाया गया था. कप्तान बनने के बाद ध्यान चंद का खेल किस कदर निखर गया था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1936 ओलंपिक में टीम ने कुल 38 गोल किए थे. टीम के खिलाफ टूर्नामेंट में पहला गोल फाइनल में हुआ था. हालांकि, टीम ने ओलंपिक गोल्ड जीत की हैट्रिक लगाई.

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