विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jul 19, 2023

रीवा का कुंदेर परिवार बनाता है सुपारी से देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और खिलौने

क्या आपने कभी सोचा है कि पान में डालकर खाए जाने वाली सुपारी से देवी-देवताओं की मूर्तियां भी बन सकती हैं या फिर इससे खिलौने जैसी चीजें भी बनाई जा सकती हैं. यदि नहीं तो फिर मध्यप्रदेश के रीवा में मौजूद कुंदेर परिवार से मिलने के बाद आपकी सोच बदल जाएगी. इस परिवार को सुपारी से कई सुंदर कलाकृतियां बनाने में महारथ हासिल है. अहम ये है कि ऐसा करने वाला शायद वो दुनिया में इकलौता परिवार है.

Read Time: 4 min
रीवा का कुंदेर परिवार बनाता है सुपारी से देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और खिलौने

आम तौर पर सुपारी का इस्तेमाल पूजा और पान के साथ खाने में किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी सुपारी से देवी-देवताओं की शानदार प्रतिमाएं बनाई जा सकती हैं या फिर बच्चों के लिए खिलौने भी...शायद पहली बार में आप इस पर विश्वास न कर पाएं लेकिन जब आप रीवा के अवधेश और दुर्गेश नाम के दो कलाकारों से मिलेंगे तो आप बरबस ही कह पड़ेंगे कि सुपारी से तो अपनी मनचाही वस्तु बनाई जा सकती है. दरअसल रीवा में रहने वाला कुंदेर परिवार  आधी सदी से भी अधिक समय से सुपारी से तरह-तरह की मूर्तियां और खिलौनी जैसी चीजें बनाता रहा है. इनकी कला को राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक सराह चुके हैं. 

कैसे शुरु हुआ सिलसिला

ये बात 1942 की है. रीवा के फोर्ट रोड में भगवान सिंह कुंदेर का परिवार रहता था. भगवान के बेटे राम सिया लकड़ी के खिलौने बनाते थे.

हुआ यूं कि रीवा के महाराज गुलाब सिंह पान खाने के शौकीन थे लेकिन सुपारी उनके दांतों में लग जाया करती थी. जिसके बाद महाराज ने कुंदेर परिवार को हुक्म दिया कि वे सुपारी को इस तरीके से काटें कि वो मुंह में न लगे. इसी दौरान जब राम सिया ने सुपारी को भिगो कर काटा और महाराज के सामने पेश किया तो बेहद खुश हुए.

इसी दौरान राम सिया ने सुपारी से कुछ अलग करने का सोचा.सबसे पहले उन्होंने सुपारी से सिंदुर की डिब्बी बनाई और महाराज के सामने इसे भी पेश किया. जिससे खुश होकर महाराज ने 51 रुपये का इनाम दिया था. इसके बाद राम सिया ने सुपारी से चाय के सेट से लेकर ताजमहल तक अनगिनत चीजें बनाईं.

j7dj6p9

कुंदेर परिवार सुपारी से सुंदर कलाकृतियां करीब आधी सदी से बना रहा है. लेकिन अब वो आर्थिक परेशानी का सामना कर रहा है.

साल 1960 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद रीवा आए उन्हें सुपारी से बनी वर्किंग स्टिक कुंदेर परिवार ने दी. इसके बाद 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रीवा आई उन्हें तोहफे के रुप में सुपारी का टी सेट दिया गया. इसके बाद तो सिलसिला चल निकला. तब से अब तक रीवा आने वाले हर आम और खास को तोहफे में सुपारी के गणेश जी और खिलौने ही दिए जाते हैं.

दिलचस्प ये है कि इंदिरा गांधी ने उनकी कला से खुश हो कर राम शिया को हस्तशिल्प विकास निगम का डायरेक्टर बना दिया. साल 1993 में जब राम सिया की मौत हो गई तो उनके बेटों दुर्गेश और अवधेश ने विरासत को संभाला.

आज स्थिति ये है कि डिमांड के मुताबिक वे किसी भी जीच का डिजाइन बना कर कस्टर को दे देते हैं. 

परिवार के सामने परेशानी भी है

आम तौर पर कुंदेर परिवार के पास सबसे ज्यादा डिमांड सुपारी के गौर-गणेश की मूर्तियों के ही आते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हिंदू धर्म में सुपारी को भी पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दुर्गा की प्रतिमा की भी डिमांड रहती है. विदेशी सैलानी भी उनकी कला को देखने रीवा में आते रहते हैं. लेकिन परेशानी ये है कि बिना सरकारी मदद के अब इस कला को आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा है. परिवार का कहना है कि मौजूदा दौर में सिर्फ इस कला से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. अब तो उनके परिवार के बच्चे नौकरियों की तलाश कर रहे हैं. जाहिर है यदि संरक्षण नहीं मिला तो ये कला इसी पीढ़ी के साथ खत्म हो सकती है. राज्य सरकार की योजना एक शहर एक उत्पाद के लिए पहले सुपारी के खिलौने को चुना गया था लेकिन बाद में जीआई टैग रीवा के आम के उत्पाद को मिल गया. 

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close