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This Article is From Jul 17, 2023

चंद्रयान-3 मिशन में सरगुजा के निशांत सिंह वैज्ञानिकों की टीम रहे शामिल, छत्तीसगढ़ का बढ़ाया मान

वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह ने बताया कि चंद्रयान-3 के रोवर का पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर का निर्माण इसरो के अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा किया गया है. इस टीम में वे भी शामिल रहे हैं.

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चंद्रयान-3 मिशन में सरगुजा के निशांत सिंह वैज्ञानिकों की टीम रहे शामिल, छत्तीसगढ़ का बढ़ाया मान
इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह ने बताया कि भारत दुनिया का पहला देश है, जो चंद्रमा में उपकरणों के माध्यम से अध्ययन करेगा.
अम्बिकापुर(छग):

चंद्रयान-3 मिशन से भारतवर्ष का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. इस सफलता ने आज पूरे भारतीयों का सीना चौड़ा कर दिया है. इसरो के वैज्ञानिकों की टीम की जितनी तारीफ की जाए कम है लेकिन इस वैज्ञानिकों की टीम में या कहे अभियान में सरगुजा का एक होनहार बेटा भी शामिल है, जिसने सरगुजा सहित पूरे छत्तीसगढ़ का मान देश-विदेश में बढ़ाया है.

अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं निशांत 
अंबिकापुर के गोधनपुर निवासी निशांत सिंह वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर पदस्थ हैं. चंद्रयान 3 में एक उपकरण लगाया गया, जो चांद पर मिट्टी सहित अन्य तत्वों की जांच करेगा. उस उपकरण को लगाने वाले वैज्ञानिकों के टीम में निशांत सिंह भी शामिल रहे हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह बताते हैं कि चंद्रयान-3 के रोवर का पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर का निर्माण इसरो के अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा किया गया है. इस टीम में वे भी शामिल रहे हैं.

अब तक चंद्रमा के साउथ पोल पर उपकरण के माध्यम से अध्ययन नहीं हुआ
उन्होंने बताया कि अल्फा पार्टिकल एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर चंद्रमा के साउथ पोल जहां चंद्रयान-3 लैंड करेगा. उसके आसपास की मिट्टी, पत्थर, सहित अन्य तत्व की जांच करेगा. इसके माध्यम से पता चलेगा कि चंद्रमा के साउथ पोल में कौन-कौन से तत्व मौजूद हैं. इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह ने बताया कि अब तक चंद्रमा के साउथ पोल पर कोई भी उपकरण के माध्यम से अध्ययन नहीं हुआ है. भारत दुनिया का पहला देश है, जो चंद्रमा में उपकरणों के माध्यम से अध्ययन करेगा.

अम्बिकापुर में हुईं निशांत की प्रारंभिक शिक्षा
बेहद साधारण परिवार से ताल्लुकात रखने वाले इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा अंबिकापुर में हुई है. निशांत की विज्ञान के प्रति रुचि बचपन से ही रही है. इन्होंने कक्षा 1 से 3 तक मरीन ड्राइव स्कूल में पढ़ाई की. कक्षा चौथी से पांचवी तक की पढ़ाई कार्मेल स्कूल अंबिकापुर में पूरी की. इसके बाद इनका चयन नवोदय विद्यालय बसदेई सूरजपुर हो गया, जहां इन्होंने कक्षा 6 से आठवीं तक की पढ़ाई की.

2018 से गुजरात के अहमदाबाद स्थित इसरो पीआरएल में पदस्थ
इसके बाद कक्षा ग्यारहवीं से 12वीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय कोट्टायम केरल में पूरी की है.12वीं के बाद निशांत ने केरल के तिरुवंतपुरम के आईआईएससी से बी टेक किया है. वह वर्ष 2018 से गुजरात के अहमदाबाद स्थित इसरो पीआरएल में वरिष्ठ वेज्ञानिक के पद पर पदस्थ हैं.

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