Holi Special: बलरामपुर में Eco Friendly रंग-गुलाल बना रही महिलाएं, नहीं होगी त्वचा खराब
How To Make Herbal Gulal: बलरामपुर की समूह से जुड़ी महिलाएं खाने की चीजों से ईको फ्रेंडली रंग बना रही है. इससे महिलाओं की आजीविका में बढ़ोतरी तो हो ही रही है, लोगों को भी कम कीमत पर हर्बल रंग मिल रहे हैं.
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रंगों का त्योहार होली (Holi 2024) के अब 2 ही दिन बचे हुए हुए हैं. इस साल 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जा रहा है. आजकल लोग होली पर हर्बल गुलाल और रंगों से ज्यादा खेलना पसंद कर रहे हैं. लोगों की इस डिमांड को देखते हुए बलरामपुर (Balrampur) स्वसहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल (Herbal Gulal) बना रही है. इससे महिलाओं की आजीविका में बढ़ोतरी तो हो ही रही है, लोगों को भी कम कीमत पर हर्बल रंग मिल रहे हैं. (फोटो-बृजेंद्र कुमार) (रिपोर्टर-बृजेंद्र कुमार), (कटेंट- प्रिया शर्मा)
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वहीं होली का त्योहार आते ही बलरामपुर जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रंग बनाने का काम बड़े जोरों शोरों से कर रही है. ये महिलाएं हर साल त्योहारों में अच्छा खासा कमाई भी कर लेती हैं. महिलाएं अब केमिकल से बने रंगों की बजाय हर्बल रंग और गुलाल बना कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है. (फोटो-बृजेंद्र कुमार) (रिपोर्टर-बृजेंद्र कुमार), (कटेंट- प्रिया शर्मा)
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इन रंग और गुललों की विशेषता ये है कि यह पूरी तरह से केमिकल मुक्त है इन रंग और गुलालों से त्वचा को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचता और पानी से धो देने से आसानी से यह रंग चेहरे से साफ हो जाता है. दरअसल, इस गुलाल में किसी भी तरह का केमिकल का उपयोग नहीं हो रहा है. (फोटो-बृजेंद्र कुमार) (रिपोर्टर-बृजेंद्र कुमार), (कटेंट- प्रिया शर्मा)
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लोकल फॉर वोकल के तर्ज पर इन रंगों को तैयार किया जा रहा है, जिला पंचायत के सीईओ ने बताया कि अब तक समूह की महिलाएं साढे 300 किलो तक का प्रोडक्शन कर चुकी है और आगे भी उनकी तैयारी जोरों से है. समूह की महिलाएं जिला संयुक्त कलेक्टर परिसर में इसका स्टॉल लगाकर जगह-जगह इसकी बिक्री कर रही है. (फोटो-बृजेंद्र कुमार) (रिपोर्टर-बृजेंद्र कुमार), (कटेंट- प्रिया शर्मा)