Jal Jeevan Mission News: जब नहीं मिली सरकारी मदद, तो लोगों ने खुद ही खेतों से घर तक बिछा दी पाईप लाईन, जल संकट का अनोखा हल

Jal Jivan Mission: लोग अपने-अपने खेतों से पानी की पाईप लाईन कहीं बल्लियों के सहारे, तो कहीं बिजली के खंभों के सहारे घर तक लाए हैं. गांव में ज्यादातर लोगों ने कुछ इसी तरह पानी की व्यवस्था की है. गांव में बिजली के खंभों और घरों की छतों पर पानी की पाईप लाईन झूलती हुई देखी जा सकती है. ग्रामीणों ने अपने-अपने खर्च पर यह पाईप लाईनें डाल रखी है.

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Jal Jeevan Mission Updates: मध्य प्रदेश के सीहोर (Sehore) जिले में गर्मी आते ही जल संकट गहराने लगा है. कहने को तो नल जल, कुएं, हैंडपंप और सरकारी बोरिंग भी हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पेयजल की व्यवस्था ग्रामीणों को अपने स्तर पर ही करनी पड़ रही है. स्थिति यह है कि कई ग्रामीणों ने अपने-अपने खेतों पर लगे ट्यूबवेलों से घर तक पाईप लाईन अपने खर्चे पर डाल रखी है.

जिले के इछावर जनपद के तहत आने वाले ग्राम नयापुरा में पानी की काफी दिक्कत है. यहां पर करीब दर्जन भर सरकारी हैंडपंप हैं, जो वर्तमान में बंद पड़े हैं. वहीं, नल जल योजना गांव में अभी तक नहीं आई है. बीते एक साल से गांव की सड़कें खुदी पड़ी हैं. नल जल योजना के तहत रोड खोदकर पाईप लाईन तो बिछा दी गई है, लेकिन यहां अभी तक पानी टंकी का निर्माण नहीं हो पाया है,जिसके चलते लाईन चालू नहीं हो पा रही है.  

अपने खर्च पर डाली पाईप लाईनें

ऐसे में लोग अपने-अपने खेतों से पानी की पाईप लाईन कहीं बल्लियों के सहारे तो कहीं बिजली के खंभों के सहारे घर तक लाए हैं. गांव में ज्यादातर लोगों ने कुछ इसी तरह पानी की व्यवस्था की है. गांव में बिजली के खंभों और घरों की छतों पर पानी की पाईप लाईन झूलती हुई देखी जा सकती है. ग्रामीणों ने अपने-अपने खर्च पर यह पाईप लाईनें डाल रखी है.

10 हजार से लेकर 50 हजार तक कर रहे हैं खर्च

नयापुरा गांव में करीब 450 मकान हैं, इस गांव में मौजूदा वक्त में 2000 की आबादी है. इन में से ज्यादातर लोगों ने खेतों से पानी की लाईन बिछाई हुई है. कई ग्रामीणों के खेत तो एक किलोमीटर की दूरी पर है, तो कई के 2 किलोमीटर की दूरी पर है. खेतों से घर तक पीने के पानी के लिए लाईन डालने के लिए इन परिवारों को 10 हजार से लेकर 50 हजार तक का खर्च करना पड़ा है.

गरीबों की बढ़ती जा रही है परेशानी

हालांकि, जिन लोगों के पास जमीन या खेत नहीं है. ऐसे परिवार पेयजल के लिए काफी परेशान होते हैं. जिनका कहना है कि वह अन्य पानी के लिए अन्य लोगों पर निर्भर होते हैं. कई बार विवाद की स्थिति भी बन जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि जल संकट की समस्या का लेकर अधिकारी, नेता और मंत्रियों तक अपनी बात रखी, लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया. इसलिए यह व्यवस्था उन्हें करनी पड़ी है.

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ग्रामीणों का छलका दर्द

ग्रामीण गजराज ठाकुर का कहना है कि जल संकट की समस्या का लेकर अधिकारी, नेता और मंत्रियों तक अपनी बात रखी लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया. इसलिए यह व्यवस्था उन्हें करना पडी. खेत एक किलोमीटर दूर है यहां से लाइन बिछाने में 20 हजार रुपये का खर्च आ गया, तब जाकर पानी मिला. ग्रामीण ललिता बाई ने बताया कि गांव में एक सरकारी बोरिंग है, लेकिन दिन के समय बिजली नहीं रहती है,  ऐसे में पानी भरने के लिए बिजली आने का इंतजार करना पड़ता है. गांव के रामसिंह ठाकुर का कहना है कि पानी के लिए अन्य लोगों पर निर्भर हैं, एक बोर है, कभी चलता है, कभी नही. बिजली भी नहीं रहती है, ऐसे में लोगों को काफी परेशानी होती है, जिससे उनके कामकाज और मेहनत मजदूरी पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

सरपंच बोले, कोई नहीं सुन रहा हमारी समस्या

ग्राम पंचायत नयापुरा  के सरपंच रूप सिंह पटेल का कहना है कि पीएचई विभाग,  जनपद, कलेक्टर को कई बार आवेदन दे चुका हूं, प्रस्ताव बना कर दे चुका हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है. लोग अपने पैसे खर्च कर पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.
 

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वहीं, जब इस पूरे मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ एनएल अहिरवार से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मैं अभी बाहर हूं, आकर देखता हूं कि गांव की क्या स्थिति है. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि गांव में पानी की पाईप लाईन बिछ चुकी है.

अभी तो गर्मी की शुरुआती दौर है. लोग जैसे-तैसे पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे हैं, पर मई-जून के महीने में ग्रामीणों की परेशानी और भी बढ़ने की आशंका है, ऐसे में प्रशासन को जल्द से जल्द इन गांव वालों की सुनवाई कर पानी की समस्या करनी चाहिए, अब देखना ये है कि प्रशासन इस ओर कब ध्यान देता है.

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