MP News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले में बीते दिनों अनोखी सियासत देखने को मिली थी... जब भारतीय जनता पार्टी (BJP ) और कांग्रेस के नेताओं ने एक साथ मिलकर नगर पालिका की CMO गीता मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अब दोनों पार्टियों की ये जुगलबंदी काम आते दिखाई दे रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वित्तीय अनियमितताओं के चलते CMO गीता मांझी को सस्पेंड कर दिया गया है. जी हां, नगरीय प्रशासन आयुक्त भरत यादव ने CMO गीता मांझी को सस्पेंड कर नगर निगम सागर में अटैच कर दिया है. बता दें कि टीकमगढ़ नगरपालिका के सभी 26 पार्षद (कांग्रेस और BJP के पार्षदों) ने गीता मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था.
किस बात से नाराज़ थे पार्षद ?
नगरपालिका CMO गीता मांझी पर मनमाने तरीके से काम करने और अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप थे, जिससे सभी पार्षद नाराज थे. पार्षदों का कहना था कि गीता मांझी की तानाशाही दिनों दिन बढ़ती जा रही थी और वह शहर के विकास में बाधा डाल रही थीं. नगरपालिका अध्यक्ष अब्दुलगफ्फार खान और गीता मांझी के बीच भी काफी दिनों से तनातनी चल रही थी. दोनों एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लगाते थे, जिसके वीडियो भी वायरल हुए थे.
पार्षदों ने किया विरोध प्रदर्शन
26 जुलाई को सभी पार्षदों ने एकजुट होकर PCC की बैठक आयोजित की और गीता मांझी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया. इसके बाद उन्होंने CMO को हटाने के लिए जमकर प्रदर्शन किया और टीकमगढ़-झांसी हाइवे पर जाम लगा दिया, जिससे एक घंटे तक ट्रैफिक प्रभावित हुआ. मौके पर पहुंचे टीकमगढ़ SDM संजय द्विवेदी के समझाने के बाद पार्षदों ने जाम खोला.
विशेष बैठक में निंदा प्रस्ताव
टीकमगढ़ नगर पालिका की विशेष बैठक काफी हंगामेदार रही. बैठक में नेता प्रतिपक्ष अभिषेक खरे ने गीता मांझी को हटाने के निंदा प्रस्ताव को पेश किया, जिसका सभी 26 पार्षदों ने समर्थन किया और प्रस्ताव पारित किया गया. CMO गीता मांझी इस सम्मेलन में अनुपस्थित थीं.
जांच के बाद की गईं सस्पेंड
अगले दिन पार्षदों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और गीता मांझी को हटाने की मांग की. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष अभिषेक खरे ने नगरीय प्रशासन आयुक्त भरत यादव से मुलाकात की और गीता मांझी की अनियमितताओं की जानकारी दी. आयुक्त भरत यादव ने गीता मांझी को सस्पेंड कर उनकी जांच शुरू कर दी.
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BJP-कांग्रेस पार्षदों ने कहा ये
गीता मांझी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वहीं, विरोध करने वाले पार्षदों का कहना है कि सत्य की जीत हुई है. उनका कहना है कि गीता मांझी की अनियमितताओं के कारण शहर का विकास प्रभावित हो रहा था और अब शहर के विकास का रास्ता साफ हो गया है. कांग्रेस और BJP के पार्षदों की जुगलबंदी ने आखिरकार काम कर दिखाया.
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