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Fasal Bima: बीमा कंपनियां किसानों को थमा रही थी 1, 3 और 5 रुपये का क्लेम, भड़के शिवराज सिंह ने किया ये बड़ा ऐलान

Crop Bima Yojana: केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की एक, दो, पांच या 21 रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है. शिवराज ने कहा कि अब सरकार ऐसा नहीं होने देगी. उन्होंने इस संबंध में जांच के आदेश दिए.

Fasal Bima: बीमा कंपनियां किसानों को थमा रही थी 1, 3 और 5 रुपये का क्लेम, भड़के शिवराज सिंह ने किया ये बड़ा ऐलान

Fasal Bima Yojana: केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित किसानों की परेशानियां दूर करने और क्लेम के बारे में उनकी शिकायतों के समाधान के लिए सोमवार को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की. इस दौरान उन्होंने बैठक में महाराष्ट्र के कुछ किसानों को भी वर्चुअल जोड़कर सीधे उनकी बातें सुनीं और फिर अधिकारियों से इसके बारे में जवाब तलब किया.

शिवराज सिंह ने साफ तौर पर कहा कि हम किसानों को किसी भी हालत में परेशान नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि एक, दो, पांच या 21 रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है. शिवराज ने कहा कि अब सरकार ऐसा नहीं होने देगी. उन्होंने इस संबंध में जांच के आदेश दिए. साथ ही किसानों के हित में बीमा कंपनियों और अफसरों को सख्त निर्देश दिए और कहा कि किसानों को क्लेम जल्दी और एक साथ मिलना चाहिए. इसके अलावा, नुकसान का आंकलन सटीक प्रणाली से होना चाहिए. इसके लिए शिवराज सिंह ने योजना के प्रावधानों में आवश्यक होने पर बदलाव कर विसंगतियां दूर करने के निर्देश भी अफसरों को दिए.

बीमा को बताया सुरक्षा कवच

दरअसल, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने संसदीय क्षेत्र के प्रवास के दौरान सीहोर जिले के किसानों से मिली शिकायतों और महाराष्ट्र के किसानों को नाम मात्र की क्लेम राशि मिलने की बातों को लेकर वे काफी चिंतित थे. इसलिए वे सोमवार सुबह विमान से दिल्ली पहुंचने के बाद सीधे कृषि भवन स्थित मंत्रालय पहुंचे और सबसे पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े सारे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही सभी बीमा कंपनियों के उच्चाधिकारियों को भी उन्होंने फौरन तलब किया. शिवराज सिंह ने इन सबकी बैठक लेकर कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, उनकी फसलों के प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने की स्थिति में सुरक्षा कवच के रूप में वरदान की तरह हैं, लेकिन साथ ही कुछ चीजें ऐसी हुई हैं कि जिससे इस महत्वपूर्ण योजना की बदनामी हुई है और मजाक भी उड़ता है, जिससे लोगों को प्रोपेगेंडा करने का मौका मिलता है.

अफसरों को लगाई फटकार

शिवराज सिंह ने सीहोर जिले के कुछ किसानों के नाम सहित बैठक में मौजूद अधिकारियों को उदाहरण देते हुए कहा कि इन किसानों को फसल बीमा कराने के बावजूद नुकसान होने पर जीरो लॉस दिखाया गया. वहीं, क्लेम के नाम पर सिर्फ 1 रुपये दिया गया. वहीं, उन्होंने आगे कहा कि एक अन्य किसान का नुकसान  0.004806 रुपये दिखाया गया. इस सबूतों को दिखाने के बाद केंद्रीय मंत्री ने किसानों की ओर से पूछा कि ये नुकसान मापने का कौन-सा तरीका है. इसके बाद शिवराज ने बैठक में शामिल अफसरों व बीमा कंपनियों को जिम्मेदारों को फटकारते हुए पूछा, क्या सर्टिफिकेशन हैं इसका, क्या ये मजाक नहीं है, क्या तरीका है ये.... केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसी बातों पर मैं गहराई में जाऊंगा, फसल बीमा योजना कोई मजाक नहीं है. ये मजाक में नहीं है. इसके बाद उन्होंने कहा कि अब मैं ये सब चलने नहीं दूंगा. उन्होंने सीहोर कलेक्टर को भी बैठक से वर्चुअल जोड़ने का निर्देश देकर उनसे पूरी जानकारी ली और दिल्ली के अफसरों व कंपनी प्रतिनिधियों से सवाल किए.

राज्य सरकार के रवैये पर भी भड़के शिवराज

बैठक में अफसरों ने जब कहा कि कुछ राज्य अपने हिस्से की सब्सिडी की राशि देरी से जमा करते हैं, या महीनों से नहीं दे रहे हैं. इस पर शिवराज सिंह ने कहा कि सभी राज्यों से समन्वय कर राज्यांश राशि समय पर जमा कराया जाए, ताकि फसलों के नुकसान की स्थिति में पीड़ित किसानों को उनकी क्लेम राशि समय पर मिल सकें. इसके साथ ही शिवराज ने कहा कि जो राज्य ढिलाई बरत रहे हैं, उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाए, जैसा कि केंद्र ने किसानों के हित में बड़ा प्रावधान किया है.

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शिवराज सिंह ने सवाल उठाया कि सब्सिडी देने में राज्यों के ढीलेपन की वजह से केंद्र सरकार क्यों बदनाम हों. बैठक में केंद्रीय मंत्री चौहान ने सीहोर कलेक्टर और महाराष्ट्र के वरिष्ठ कृषि अधिकारियों और कंपनियों से सुझाव भी लिए, ताकि योजना में आगे भी सुधार किया जा सके. शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को टेक्नालाजी से जोड़ना पड़ेगा, जिससे कि पूरी पारदर्शिता बनी रहे. हमारे किसान भाई-बहन जागरूक रहे और कहीं भी कोई गड़बड़ियां नहीं होने पाएं.

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