Ujjain:  महाकाल के जयकारे लगाते हुए जलती आग पर चले श्रद्धालु, जानें क्या है इसकी वजहें 

Madhya Pradesh News: उज्जैन के नीलकंठ महादेव मंदिर में सालों से धधकती आग, अंगारों पर चलने की परम्परा चली आ रही है. हर साल यहां होली के मौके पर यह आयोजन होता है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या है वजहें?  

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फोटो-धधकती हुई चूल और उस पर चलते श्रध्दालु.

Baba Mahakal Mandir Ujjain : होली के अवसर पर जिले के एक गांव में नीलकंठ महादेव मंदिर में पारंपरिक (चूल) धधकती आग का आयोजन हुआ. यहां 100 से ज्यादा श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने के बाद बाबा महाकाल (Baba Mahakal)के जयकारे लगाते हुए धधकती चूल पर चले. ये परम्परा कई सालों से चली आ रही है. 

ऐसी है यह परंपरा 

उज्जैन से करीब 70 किलोमीटर दूर भाटपचलाना के समय बालोदा कोरन गांव के नीलकंठ महादेव मंदिर पर सदियों से होली पर चूल का आयोजन होता है. मान्यता है कि लोग अपनी मनोकामना के लिए भोलेनाथजी को खुश करने के लिए या फिर मन्नत पूरी होने पर धन्यवाद देने के लिए चूल पर चलते है. इसी परंपरा के चलते होली के दिन सोमवार को नीलकंठ महादेव मंदिर में विशेष पूजा के बाद चूल जलाई गई. इस धधकती चूल पर 50 से ज्यादा युवती, महिला और इतने ही युवक चले. लेकिन कोई भी नहीं झुलसा.

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200 सालों से चली आ रही है  परंपरा

ग्रामीणों के अनुसार चूल की परंपरा 200 वर्षों से अधिक से निभाई जा रही है. इसके लिए 3 फीट चौड़ा और 15 फीट लंबा गड्ढा खोदा जाता है. फिर होली की दोपहर में नीलकंठ महादेव बाबा की पूजा कर बबुल की लकड़ी से चल जलाई जाती है. बालोदा गांव के किसान दिनेश मोरिया ने बताया कि शाम 5 बजे बाद लोग जय महाकाल और हर महादेव के जयकारे के साथ बारी-बारी से चूल पर चलने लगते हैं. इस दौरान तीन बार में 40 से 45 किलो घी डाला जाता है. उन्होंने कहा कि वे खुद चार बार चूल पर चल चुके हैं. लेकिन कभी पैर नहीं जले. शराब पीकर चूल पर चलने वालो के साथ घटना होती है. 

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