Vidisha News: केंद्र से लेकर राज्य सरकार आदिवासी समुदाय के विकास के खूब दावे करती हैं. इसके साथ इन सरकारों की ओर से आदिवासियों के विकास के लिए नित्य नई कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान भी किया जाता है, लेकिन इन योजनाओं पर जमीनी स्तर पर कितना अमल होता है. इसका जीता जागता नमूना विदिशा (Vidisha) जिला है, जहां आज भी आदिवासी बच्चे पांच साल से स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आज तक स्कूल नहीं खुल पाया है.
पांच साल से नहीं खुला यहां स्कूल
मोहम्मदगढ पंचायत चौपड़ा ग्यारसपुर ब्लॉक में आता हैं. इस गांव के करीब 38 आदिवासी समुदाय के बच्चे शिक्षा से महरूम है. इसकी वजह है, इनके गांव में पांच साल पहले खुले स्कूल का बंद हो जाना. स्कूल की बिल्डिंग तो है, पर यहां पर ताला लटका हुआ है. यहां के बच्चों को भी ये मालूम नहीं है कि सरकार ने उनके गांव का स्कूल आखिर क्यों बंद कर दिया.
बंद पड़े-पड़े क्षतिग्रस्त हो गया स्कूल भवन
परिजन बोले, जब स्कूल ही नहीं है, तो बच्चों को कैसे पढ़ाएं
बच्चों के परिजन कहते हैं हम लोगों को बस्ती ग्यारसपुर के जंगलों में बसी है. यहां न तो कोई अधिकारी आते हैं और न ही कोई जन प्रतिनिधि गांव में आते हैं. पांच साल पहले तक एक स्कूल चलता था. इस स्कूल में शिक्षक भी पढ़ाने आते थे, लेकिन अब वह स्कूल भी पांच साल पहले बंद कर दिया गया है. इन लोगों का अब कहना है कि जब गांव में स्कूल ही नहीं है, तो हम अपने बच्चों को पढ़ाने कहां भेजें. हम तो सरकार से चाहते हैं कि वो हमारी बस्ती में दोबारा से स्कूल शुरू करें, ताकि हमारे बच्चे भी पढ़ लिख सकें.
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स्कूल बंद होने की खबर से बेखबर है शिक्षा विभाग
सबसे हैरानी की बात तो यह है शिक्षा विभाग स्कूल बंद होने की खबर से ही बेखबर है. शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि यह ग्यारसपुर का मामला है. इस ब्लॉक के शिक्षा विभाग को जानकारी होगी कि स्कूल क्यों और कैसे बंद हुआ. उसकी डिटेल मंगवाई जाएगी. अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी.
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