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उज्जैन में दीपावली के बाद पाड़े लड़ाने की अनूठी परंपरा, डाइट में लेते हैं घी-दूध, काजू-बादाम और देशी अंडे

मध्य प्रदेश के उज्जैन में दीपावली बाद पाड़ों के दंगल की परंपरा जारी रही. प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण इलाकों में तीन जोड़ पाड़ों के बीच मुकाबले हुए. दर्शकों ने इस पारंपरिक Bull Fight in Ujjain का रोमांचक नज़ारा देखा.

उज्जैन में दीपावली के बाद पाड़े लड़ाने की अनूठी परंपरा, डाइट में लेते हैं घी-दूध, काजू-बादाम और देशी अंडे

मध्य प्रदेश के उज्जैन में दीपावली के बाद पाड़े लड़ाने की अनूठी परंपरा है. इसी परंपरा के तहत शुक्रवार को तीन जोड़ पाड़ों का दंगल हुआ, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. हालांकि उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने प्रतिबंध के चलते पाड़ों के दंगल नहीं होने देने के आदेश जारी किए थे, बावजूद इसके पशुपालक एकांत क्षेत्रों में अपने पाड़ों को लड़ा रहे हैं.

लालपुर क्षेत्र में शुक्रवार को गोपालक रोशन यादव ने पाड़ों का दंगल करवाया. यहां शिव से जीत, शनि से जलवा और एक अन्य पाड़े के बीच मुकाबला हुआ. तीनों जोड़ के बीच लंबे समय तक जोर आज़माइश हुई, इस दौरान एक पाड़े का सींग टूट गया. हजारों दर्शक इस नज़ारे को देखने पहुंचे और पाड़ों के दंगल का लुत्फ उठाया. सर्वविदित है कि दीपावली के बाद होने वाले पाड़ों के दंगल के लिए पशुपालक करीब तीन माह पहले से अपने पाड़ों को खिलाकर-पिलाकर तैयार करते हैं.

ऐसे होती है पाड़ों की तैयारी

रोशन यादव ने बताया कि पाड़ों को तैयार करने के लिए 25 किलो घी, हजारों लीटर दूध, काजू-बादाम और देशी अंडे खिलाए जाते हैं. सरसों के तेल से उनकी मालिश की जाती है और उनकी देखभाल के लिए दो व्यक्ति लगाए जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लड़ाने से पहले पाड़ों को शराब पिलाने की बात गलत है. दो पाड़ों को जब मैदान में आमने-सामने लाया जाता है तो वे स्वाभाविक रूप से भिड़ जाते हैं. अगर नहीं लड़ते, तो भैंसों के साथ लाने पर भिड़ जाते हैं.

पाड़ों की लड़ाई पर लगे प्रतिबंध को लेकर यादव ने कहा कि सीएम यादव खुद कह चुके हैं कि “यादवों का पैसा पाड़ों में ही जाता है, और पाड़े तो तबेले में भी लड़ लेते हैं.”

दंगल पर प्रतिबंध, एसपी ने लिखा पत्र

माना जाता है कि पहले पाड़ों को दंगल के लिए शराब पिलाकर उत्तेजित किया जाता था, जिससे वे आक्रामक हो जाते थे. इस कारण कई बार पाड़े गंभीर रूप से घायल हो जाते थे या उनकी जान तक चली जाती थी. यही वजह है कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत जानवरों को अनावश्यक दर्द या पीड़ा पहुँचाना दंडनीय अपराध है. वहीं, दंगल के दौरान पाड़ों के भागने से जनहानि की आशंका भी रहती है. इसे ध्यान में रखते हुए एसपी प्रदीप शर्मा ने थाना प्रभारियों को पाड़ों के दंगल नहीं होने देने के निर्देश दिए हैं.

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