Smart City Gwalior: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) को स्मार्ट सिटी 0.2 (Smart City 0.2) में जगह नहीं मिली, जिसके चलते अब उसे भारत सरकार (Indian Government) से स्मार्ट सिटी के लिए कोई पैसा नहीं मिलेगा. 30 जून को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) ग्वालियर का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत केंद्र से 1000 करोड़ रुपये मिले थे.
पीएम मोदी ने शुरू की थी स्मार्ट सिटी योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई स्मार्ट सिटी योजना में ग्वालियर का चयन 2017 में किया गया. इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी भी बनाई गई. इसके तहत बोर्ड को राज्य सरकार के माध्यम से हेरिटेज को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट तैयार करके भारत सरकार को भेजे गए, जिसके तहत इनके लिए 1000 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत थीम रोड, चौपाटी, हुजरात मार्केट का निर्माण के अलावा महाराजवाड़ा स्थित ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार, शहर में मल्टीलेवल पार्किंग, टाउन हॉल का विकास सहित अनेक विकास कार्य करने हैं. स्मार्ट सिटी में यातायात पर नियंत्रण के लिये अत्याधुनिक कमांड सेंटर भी बनाया गया. इसका कार्यकाल 2022 तक था, लेकिन तब ज्यादातर प्रोजेक्ट अधूरे पड़े थे. लिहाजा, केंद्र ने इसको 2 साल तक का एक्सटेंशन दे दिया. लेकिन, 30 जून को यह एक्सटेंशन काल भी पूरा हो जाएगा.
स्मार्ट सिटी 0.2 में नहीं मिला स्थान
ग्वालियर को स्मार्ट सिटी 0.2 में स्थान नहीं मिला. लिहाजा, 30 जून के बाद स्मार्ट सिटी की सभी गतिविधियों का संचालन और संधारण राज्य सरकार को करना होगा. अभी केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से स्वीकृत ग्वालियर की स्मार्ट सिटी के अधूरे पड़े 218 करोड़ के प्रोजेक्ट के काम बीच में ही अटक सकते है. प्रदेश शासन से स्मार्ट सिटी ग्वालियर को एक पत्र मिला है, जिसमें उससे खुद की भूमि तलाशने को कहा गया है. माना जा रहा है कि आचार संहिता के बाद इस प्रस्ताव पर विचार होगा.
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स्मार्ट सिटी के भविष्य को लेकर सवाल
स्मार्ट सिटी ग्वालियर की सीईओ नीतू माथुर का कहना है कि स्मार्ट सिटी के जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उनको लेकर कोई संकट नहीं है. क्योंकि उनका सारा बजट पहले से स्वीकृत है और हम इन्हें तय समय, यानी 30 जून तक पूरा कर लेंगे. लेकिन, सवाल यह है कि 30 जून के बाद स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट कैसे रन करेंगे? इनके संधारण और संचालन का पैसा कौन देगा? नगर निगम की आर्थिक स्थिति पहले आए ही खस्ता हाल है और राज्य शासन ने अभी तक स्मार्ट सिटी के बारे में कोई नीति ही तैयार नहीं की है.
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