Union Carbide Waste: भोपाल की बंद पड़ी ‘यूनियन कार्बाइड फैक्टरी' से लाए गए 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे में से 6,500 किलोग्राम से अधिक का जहरीला कचरा मंगलवार को पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में जलाया गया. अधिकारियों ने बताया कि पीथमपुर स्थित रामकी संयत्र में जहरीला कचरा ट्रायल के तीसरे चरण के तहत जलाया गया है.
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हाई कोर्ट के आदेश के बाद जलाया जा रहा है जहरीला कचरा
गौरतलब है मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है.
10 मार्च को 270,11 मार्च को 6570 Kg कचरे का निपटान
परीक्षण के तीसरे चरण का विवरण देते हुए एक अधिकारी ने कहा कि, अपशिष्ट को (भस्मक में) डालने की प्रक्रिया 10 मार्च को शाम सात बजकर 41 मिनट पर शुरू हुई और 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से अपशिष्ट को भस्मक में डाला गया तथा 11 मार्च को रात आठ बजे तक कुल 6,570 किलोग्राम अपशिष्ट को भस्म कर दिया गया.
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करीब 75 घंटे चला था पहले दौर का कचरा निपटान परीक्षण
अधिकारी ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च को खत्म हुआ था. उन्होंने बताया कि पहले दौर का परीक्षण करीब 75 घंटे चला था और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया था.
180 Kg प्रति घंटे की दर से दूसरे दौर में हुआ कचरा निपटान
परीक्षण के दूसरे दौर में कचरे का निपटान 180 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से किया गया. दूसरा दौर 8 मार्च को समाप्त हुआ. प्रदेश में डा. मोहन यादव की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं.
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फैक्टरी में जहरीले गैस के रिसाव से गई थी हजारों की जान
उल्लेखनीय है भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था. इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है.
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