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Bhojshala Conflicts: 'काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है भोजशाला का मुद्दा', सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

Supreme Court Hearing Today: याचिकाकर्ता का दावा है कि भोजशाला का मुद्दा काशी-मथुरा और अयोध्या के समान है. याचिका में कहा गया है कि भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका की सुनवाई की जानी चाहिए. चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है, जिसे हटाने की मांग की जा रही है.

Bhojshala Conflicts: 'काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है भोजशाला का मुद्दा', सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
Dhar Bhojshala Kamal Maula Conflict

Bhojshala Kamal Maula Controversy: धार जिले के विवादित भोजशाला कमाल मौला मस्जिद को लेकर आज याचिकाकर्ता आशीष गोयल की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता के मुताबिक  भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका की सुनवाई की जानी चाहिए.

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याचिकाकर्ता का दावा है कि भोजशाला का मुद्दा काशी-मथुरा और अयोध्या के समान है. याचिका में कहा गया है कि भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है, इसलिए इसकी मूल याचिका की सुनवाई की जानी चाहिए. चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है, जिसे हटाने की मांग की जा रही है.

ASI की रिपोर्ट के बाद से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है केस

गौरतलब है सर्वे के दौरान कमाल मौला वेल फेयर सोसाइटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. एक अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हाई कोर्ट के आदेश से चल रहे सर्वे को यथावत जारी रखा जाए. एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद भी मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

कोर्ट ने 22 मार्च 2024 से सर्वे करने का आदेश दिया था

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 2022 में विवादित भोजशाला कमाल मौला मस्जिद के हिंदू समाज को पूर्ण अधिकार देने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने 22 मार्च 2024 से एएसआई को सर्वे करने का आदेश दिया था, जो 100 दिन चला था. सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई 2024 को प्रस्तुत की गई थी, लेकिन  सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है.

याचिकाकर्ता आशीष गोयल का तर्क है कि भोजशाला धर्मस्थल उपासना अधिनियम से संबंधित नहीं है और इसका संरक्षण एएसआई द्वारा किया जा रहा है और प्रधान न्यायाधीश द्वारा विभिन्न धार्मिक स्थलों की सुनवाई एक साथ की जाने की व्यवस्था में इसे शामिल नहीं किया जाए और आगामी कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो रोक लगाई थी, उसे हटाया जाए.

कोर्ट ने शुक्रवार को मुस्लिम समाज को जुम्मे की नमाज की दी है इजाज़त 

गौरतलब है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के आदेश अनुसार प्रति मंगलवार एवं बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदू समाज को चावल और पुष्प के साथ प्रवेश की अनुमति है, जबकि प्रति शुक्रवार को मुस्लिम समाज को जुम्मे की नमाज की इजाज़त है. सप्ताह के बाकी पांच दिनों में पर्यटकों के लिए सशुल्क का प्रवेश की अनुमति दी गई है.

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