
Caste Discrimination: शिक्षा और समाज सुधार की अब बयान अब दलित समाज में भी तेजी से बहने लगी है. लोगों में बढ़ती शिक्षा और जागरुकता अगर भी अब साफ देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि अब बड़ी तेजी से दलित समाज के लोग सामूहिक रूप से सामाजिक बुराइयों को त्यागने का फैसला ले रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के मुरैना में दलितों ने अपने फैसले से सभी चौंका दिया है.
बुराइयों से बचने की खाई कसम
दरअसल, मुरैना जिले में जाटव समाज ने कुरीतियों को त्यागने की ली शपथ है. यहां हजारों लोगों ने विवाह समारोह में डीजे, बैंड, मृत्युभोज, दलित बस्तियों में शराब बिक्री का विरोध करने, किसी भी व्यक्ति पर दलित कानून का दुरुपयोग न करने की शपथ ली. इसके साथ ही इन लोगों ने दहेज हत्या व महिला प्रताड़ना को रोकने के लिए दहेज लेना-देना बंद करने और बालिकाओं को पूर्ण शिक्षित करने का भी वचन लिया.
इस मुद्दे पर आयोजित की गई थी महापंचायत
दरअसल, मुरैना में जाटव समाज पर अन्याय और अत्याचार को लेकर महापंचायत बुलाई गई थी. इस महापंचायत में पूर्व सांसद अशोक अर्गल, विधायक भांडेर फूल सिंह बरैया, महापौर शारदा राजेन्द्र सोलंकी, पूर्व डिप्टी कलेक्टर एचबी सिंह सहित हजारों लोग पहुंचे थे.
विधायक फूल सिंह बरैया ने की ये मांग
इस दौरान विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा कि समस्याओं का समाधान समाज से नहीं, राजनीति से है. पीड़ित परिवारों को आवास और कृषि के लिए भूमि और आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की.
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इस दौरान विधायक फूल सिंह बरैया ने पहलगाम की घटना पर कहा कि पुलवामा की सही जांच हो जाती, तो पहलगाम नहीं होता. लिहाजा, भविष्य में ऐसी घटनाओं को टालने के लिए आतंकी घटना की वृहद जांच किए जाना जरूरी है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि आतंकियों पर कार्रवाई करने पर पूरी कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ है.
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