Gupteshwar Mahadev Mandir Agar Malwa: प्रदेश भर सहित आगर मालवा जिले में भी जल गंगा संवर्धन अभियान (Jal Ganga Samvardhan Abhiyan) चल रहा है. इस अभियान में इलाके की प्राचीन जल संरचनाओं के उद्धार का मकसद है. मगर शहर के छोटा बाजार में गुप्तेश्वर महादेव (Gupteshwar Mahadev) की प्राचीन वृहद बावड़ी इससे अछूती नजर आ रही है. गंदगी और कचरे का शिकार यह बावड़ी अपना अस्तित्व खोती दिखाई दे रही है. गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर 1800 में तत्कालीन धार राज्य के दीवान जिनकी जागीरी में उस समय आगर परगना था. इसे शिवाजीशंकर रोड़ेकर ने बनवाया था.
Gupteshwar Mahadev Mandir: प्राचीन बावड़ी
क्या इसकी खासियत?
यह मंदिर तलघर में है. इसके उपर लक्ष्मीनारायण मंदिर है. जिसमें राधाकृश्ण की प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर में लगी हुई तीनो दिशा में नीचे की ओर तीन मंजिला चूने पत्थर की मजबूत बावड़ी है. जिसका निर्माण दुरर्भिक्ष के समय सन 1859 में देसावल वेश्य गंगारामजी ने करवाया था. बावड़ी का आकार तीन मंजिलों का कुल करीब 60-70 घन फीट के करीब माना जाता है. बावड़ी की तीनो मंजिलो में स्टेप बॉय स्टेप द्वार बने हुए है. जो इसके वैभव को प्रदर्शित करते है.
साल 2009 में हुई थी सफाई
नगर पालिका द्वारा वर्षो बाद 2009 में तत्कालीन अध्यक्ष मंजू जैन पटेल की परिषद द्वारा इसका जीर्णोद्धार का काम हाथ में लिया गया था. महीनों चले सफाई कार्य में 7 लाख रूपए का खर्च आया. हालांकि कार्य योजना अनुसार आगे का कार्य नही हो पाया. इसके बाद इसमें धीरे-धीरे कचरे की रोक के उपाय नहीं हो पाए. ऐसे में बावड़ी की एक दिशा में दीवार के उपर तक जो मकान बने हैं उनके द्वारा तथा आसपास के रहवासियों द्वारा कू़ड़ा कचरा इसमें पुनः डाले जाने लगा. इस वजह से यह बावड़ी अपनों के ही हाथो फिर से बर्बादी की ओर अग्रसर है.
मंदिर की बनी हैं दुकानें
बावड़ी के उपरी भाग में बाजार मार्ग की दिशा में लक्ष्मीनारायण मंदिर बना है. ग्वालियर स्टेट के समय स्थापित इस मंदिर एवं इसके नीचे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर व बावड़ी के रखरखाव के लिए नियमित आय की दृष्टि से करीब आधा दर्जन दुकाने बनायी गई है. मंदिर के पुजारी द्वारा वर्षों पूर्व इन दुकानों को किराये पर दिया गया. किन्तु होने वाली आय का उपयोग मंदिर के रखरखाव के लिए नहीं किया जा सका. इधर धीरे-धीरे दुकानदार भी इसे अपनी निजी संपत्ति मानकर नियमित किराया नहीं दे रहे. ऐसे में पुजारी और दुकानदारो के बीच विवाद की स्थिति जब तब बनी रहती थी. प्रशासन ने इन दुकानों को विवादग्रस्त स्थिति में सील कर दिया. वर्षों से ये दुकाने भी बंद पड़ी है. उसका निकाल भी प्रशासन को करना चाहिए.
Gupteshwar Mahadev Mandir: दुकानें
नए संकल्प की अपेक्षा
वरिष्ठ चिंतक और सामाजिक कार्यकता बसंत गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इस नगर में सही अर्थों में जल संरक्षण अभियान उसी दिन सार्थक होगा जिस दिन नगर की इन प्राचीन जल संवर्धन संरचनाओ तथा यहां के परंपरागत जल स्त्रोत के रूप में विघमान कुओं, बावडियों आदि के जीर्णोद्धार का संकल्प पूरी सत्य निष्ठा से यहां की नगर पालिका परिषद ले और प्रशासन व नागरिक रूची के साथ सहयोग करें. इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है कि जिस तरह नगर पालिका ने शहर की जीवन रेखा कहे जाने वाले मोती सागर तालाब और रत्नसागर तालाब के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठा कर इनका कायाकल्प करना शुरू किया है. इसी तर्ज पर इस प्राचीन बावड़ी के रखरखाव भी किया जाए. अन्यथा ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की यह बावड़ी जल्द ही काल के गाल में समा जाएगी.
Gupteshwar Mahadev Mandir: बावड़ी
गुप्ता ने आगे कहा कि यह प्राचीन जल संरचनाएं केवल जल संरक्षण की प्रतीक नहीं है बल्कि हमारी गौरवशाली अतीत का बखान भी करती है. इस बावड़ी की बनावट कला और स्थापत्य का एक आदर्श नमूना है. दुखद स्थिति यह है कि इस तरह की बावड़ियों को हमने इनके हाल पर छोड़ दिया है. शहर के नागरिकों को यह दायित्व बोध होना चाहिए कि इनकी साफ सफाई और सुरक्षा हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है.
वहीं नगर पालिका अध्यक्ष निलेश पटेल ने एनडीटीवी के सवाल पर कहा कि यह बावड़ी पहले भी दुर्दशा का शिकार हुई थी जिसका जीर्णोद्धार के प्रयास किए गए थे. अब फिर से इसमें कचरा जमा होने और गंदगी होने की बात सामने आए है. इस बावड़ी की साफ सफाई के साथ साथ शहर की अन्य और भी प्राचीन जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार के लिए हम संकल्पित है. इनके अस्तित्व को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. जल स्रोतों का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है. नागरिकों से भी अपील है कि जल संरचनाओं ने कूड़ा कचरा फेंक कर गंदगी ना फैलाएं.
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