
Hanuman Jayanti Kab Hai 2025: चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, यदि इस दिन पवनपुत्र की विधि-विधान से पूजा की जाए, तो वे अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मुराद पूरी कर देते हैं. रामभक्त हनुमान का जन्म (Hanuman Jayanti ) मां अंजना के गर्भ से हुआ था. स्कंदपुराण के अनुसार हनुमान जी को रुद्रावतार और वायुपुत्र भी कहते हैं. हनुमान जन्म से ही महाबलवान तथा सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे. बजरंगबली (Bajrangbali) को संकटमोचन भी कहा जाता है. ऐसे में मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी कष्टों से छुटकारा भी मिलता है.
देशभर के मेरे परिवारजनों को हनुमान जयंती की असीम शुभकामनाएं। पवनपुत्र का समर्पण भाव समस्त रामभक्तों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बना रहेगा। उनकी कृपा से विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा मिले, यही कामना है। जय बजरंगबली ! pic.twitter.com/O4VnQhLfOh
— Narendra Modi (@narendramodi) April 23, 2024
कब है हनुमान जयंती? Hanuman Jayanti 2025 Date and Time
इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. लेकिन इस बार भद्रा का साया लग रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल चैत्र पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन 13 अप्रैल को 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. इस बार हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) पर पंचग्रही योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. जो कि बहुत शुभ होने वाला है.
हनुमान जन्मोत्सव के पावन पर्व पर इंदौर की बेटी प्राची शर्मा और उनकी टीम ने पितरेश्वर हनुमान धाम, पितृ पर्वत इंदौर पर हनुमान जी की 3D रंगोली बनाई है।
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) April 17, 2022
प्राची और उनकी टीम को बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं... pic.twitter.com/yqklPFnrXA
मुहूर्त कब रहेगा Hanuman Jayanti Shubh Muhurat
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 12 अप्रैल को हनुमान जयंती की पूजा का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:29 से सुबह 05:14 तक है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:56 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट तक ह जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से शाम 3 बजकर 21 मिनट तक है. वहीं इस दिन भद्रा सुबह 5:59 मिनट से शुरू हो रही है, जो शाम 04:35 मिनट तक है. आपको बता दें कि भद्रा का वास पाताल में है.
वहीं 12 अप्रैल 2025 को पंचग्रही योग में मनाई जाएगी. जो कि पूरे 57 वर्षों बाद का एक अद्भुत ज्योतिषीय संयोग है. इस दुर्लभ अवसर पर हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं को हनुमान चालीसा, हनुमान वडवानल स्तोत्र और पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए.
पूजन विधि Hanuman Jayanti Puja Vidhi
हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें. इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें.
हनुमान मंत्र Hanuman Ji ke Mantra
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊं हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
इसके बाद चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें.
उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊं हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।
आसन- नीचे लिखे मंत्र से हनुमानजी को आसन अर्पित करें-
तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।
ऊं हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालकरणं वस्त्रमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊं हनुमते नम:, वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि।
इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुमकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें. अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं-
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊं हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।
इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतुफल अर्पित करें.
प्रसाद भोग Hanuman Jayanti Bhog Prasad
प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़ चढ़ाना उत्तम रहता है. अब लौंग- इलाइची युक्त पान चढ़ाएं. पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को बोलते हुए हनुमानजी को दक्षिणा अर्पित करें-
ऊं हिरण्यगर्भगर्भस्थं देवबीजं विभावसों:।
अनन्तपुण्यफलदमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊं हनुमते नम:, पूजा साफल्यार्थं द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि।।
इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें. इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं.
श्री हनुमान जी की आरती | Hanuman Ji Ki Aarti
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
श्री हनुमान चालीसा Shri Hanuman Chalisa
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)