IIT Indore: स्मार्ट शहरों की दुर्दशा, ग्वालियर में जानलेवा हवा, जानिए आईआईटी की स्टडी में क्या है?

IIT Indore Study: एनवायरमेंट एक्सपर्ट डॉ निमिषा जादौन का कहना है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने से निजी वाहनों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है, जिनका धुंआ आसपास मंडराता रहता है. निर्माण कार्य शुरू करने से पहले धूल से निपटने की जो प्लानिंग होनी चाहिए वह होती नही है इसलिए जहां भी स्मार्ट सिटी के काम चल रहे है वहां पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेबल बहुत ज्यादा है. इससे अस्थमा से लेकर गले का कैंसर तक जैसी बीमारियां हो सकतीं हैं.

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Smart City in MP: आईआईटी इंदौर की रिपोर्ट

Smart City in MP: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) लोगों को बेहतर जीवन देने की मंशा से लाया गया था, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा है, बल्कि आईआईटी इंदौर (IIT Indore) की ताजा स्टडी से यह चौंकाने वाला और चिंताजनक तथ्य सामने आया है. इस स्टडी में पाया गया कि मध्य प्रदेश की 10 स्मार्ट सिटी (Smart City) में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. इसमें ग्वालियर (Gwalior Smart City) की हालत सबसे बदतर पायी गई है. हालत ये है कि 20 साल पहले प्रदूषण की जो स्थिति साल में एक या दो दिन होती थी, वैसी अब साल में 164 दिन होती है. यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक बल्कि डराने वाला भी है.

पहले देखिए क्या कहते हैं आंकड़े?

  • स्टडी के मुताबिक, ग्वालियर प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर है. यहां पीएम 2.5 का सालाना औसतन 44.77 µg/ m² (माइक्रोग्राम मीटर) सिकोग्राम प्रति क्यूबिक के मानक (5 µg/m² से 9 गुना अधिक है. वहीं अधिकतम स्तर 177.85 µg/m³ तक पहुंच गया.
  • ग्वालियर में बेतहाशा वाहन बढ़े, वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का बड़ा कारण.

  • ग्वालियर सबसे बहुत खराब; भोपाल में 30 तो इंदौर में 20 दिन ऐसे हालात.

आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर मनीष गोयल, रिसर्च स्कॉलर कुलदीप रौतेला और टीम ने सैटेलाइट बिटा और एआई मॉडल का उपयोग कर अध्ययन किया है. ग्वालियर में फैक्ट्रियों और दिल्ली के प्रदूषण का सीधा असर दिखा. इस स्टडी में वर्ष 1980 से 2023 का अध्ययन किया गया.  20 साल पहले इन शहरों में प्रदूषित दिनों की संख्या 1-2 दिन थी.

आईआईटी इंदौर की ताजा स्टडी में यह डराने वाला खुलासा हुआ है कि ग्वालियर, रीवा, भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों में पीएम 2.5 का स्तर तेजी से बढ़ा है. ग्वालियर में साल में सबसे 164 दिन, भोपाल में 30 दिन और इंदौर में 20 दिन पीएम 2.5 का स्तर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मानक से 5 से 9 गुना तक ज्यादा पाया गया. आईआईटी ने सैटेलाइट से मिले डाटा के आधार पर प्रदूषण की स्थिति का पता लगाया.

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क्या होता पीएम 2.5?

ये कण लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं. वाहनों से निकले धुएं, फैक्ट्री, निर्माण कार्य आदि से बढ़ते हैं. सबसे अधिक प्रदूषण स्मार्ट सिटी में रीवा दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है. रीवा में 42.59 µg/m³ रहा, जबकि इंदौर में यह 24.99 µg/ m' दर्ज किया गया. भोपाल में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है. इंदौर में 30 दिन प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. रतलाम और छिंदवाड़ा की स्थिति कुछ ठीक है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

जीवाजी विश्वविद्यालय की एनवायरमेंट केमिस्ट्री की प्रमुख डॉ निमिषा जादौन कहती हैं कि ग्वालियर सहित प्रदूषण खासकर हवा में प्रदुषण बढ़ाने की बजह लम्बे समय से स्मार्ट सिटी के चल रहे विकास कार्य है. सड़कें खुदी पड़ी होने से धूल उड़ती है.

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