Guna: गुलामी से मुक्ति! चाचौड़ा में प्रशासन का बड़ा एक्शन, 16 बंधुआ मजदूरी को आजादी, ऐसी हो गई थी हालत

Slavery: कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने बताया कि यह अभियान पूरे दिन चला और शाम तक 16 मजदूरों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. सभी को प्राथमिक उपचार, भोजन और आवश्यक सहायता प्रदान की गई. इनमें से कुछ की मानसिक स्थिति को देखते हुए, जिला अस्पताल भेजा गया है और मेडिकल करा कर शिवपुरी आश्रम भेजेंगे.

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Bonded Labour: बंधुआ मजदूर

Bonded Labor: गुना (Guna) जिले के चांचौड़ा क्षेत्र में शुक्रवार को एक सुनियोजित और गोपनीय अभियान के तहत प्रशासन ने अमानवीय परिस्थितियों में काम कर रहे 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराकर बड़ी कार्रवाई की. ये मजदूर वर्षों से होटल, ढाबा और खेतों पर बंधक बनाए गए थे, जिनमें से कई मानसिक रूप से अस्वस्थ और वृद्ध हैं. वहीं एक बुजुर्ग की शिरडी नासिक का रहने वाला है. उसे जबरदस्ती वहां से लाया गया. उस बुजुर्ग से NDTV ने बात की तो उसने बताया कि मैं शिक्षक था, मुझे यहां लाया गया और मजदूरी कराते थे. सिर्फ खाना दिया जाता था और मारपीट करते थे.

कैसे हुआ एक्शन?

बंधुआ मजदूरी की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद कलेक्टर के निर्देश पर चांचौड़ा एसडीएम रवि मालवीय के नेतृत्व में पांच टीमें गठित की गईं. इन टीमों में राजस्व, पुलिस, श्रम और नगरपालिका विभाग के अधिकारी शामिल रहे. शुक्रवार तडक़े 5 बजे से इन दलों ने चाचौड़ा अंचल के दर्जनभर गांवों में दबिश देना शुरू किया.

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मानवता को झकझोर देने वाली तस्वीरें

जांच के दौरान खेतों, ईंट भट्टों और ढाबों से ऐसे मजदूरों को बरामद किया गया, जिन्हें सुबह से लेकर देर शाम तक बिना कोई पारिश्रमिक दिए सिर्फ भोजन देकर काम करवाया जा रहा था. इनमें से कई के शरीर पर फटे कपड़े, थकावट से झुकी कमर और आंखों में खौफ साफ देखा जा सकता था. कुछ मजदूर इतने कमजोर थे कि चलने तक की हालत में नहीं थे.

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कुछ मजदूरों को तो वर्षों पहले अन्य राज्यों से काम के बहाने यहां लाया गया था और तभी से वे इस अमानवीय जीवन में फंसे हुए थे. इनसे संपर्क की भी इजाजत नहीं थी और कई पीड़ितों के साथ तो मारपीट की जाती थी. कई पीडि़तों को मानसिक रोग की हालत में भी काम करवाया जाता रहा.

प्रशासन ने बताया कि अब उन लोगों की पहचान की जा रही है, जिन्होंने इन मजदूरों को बंधुआ बनाकर रखा. इन पर जल्द ही आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे. जिम्मेदार व्यक्तियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और पीड़ितों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया गया है.

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कलेक्टर का क्या कहना है?

कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने बताया कि यह अभियान पूरे दिन चला और शाम तक 16 मजदूरों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. सभी को प्राथमिक उपचार, भोजन और आवश्यक सहायता प्रदान की गई. इनमें से कुछ की मानसिक स्थिति को देखते हुए, जिला अस्पताल भेजा गया है और मेडिकल करा कर शिवपुरी आश्रम भेजेंगे.

इस बारे में पूर्व में कई बंधकों को छुड़ा चुके सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद भार्गव ने बताया कि यह कोई साधारण मामला नहीं, बल्कि बंधुआ मजदूरी से जुड़ा बड़ा नेटवर्क हो सकता है. 2 साल से हम लगे हुए है और आगे भी ओर बचे हुए मजदूरों को छुड़ाएंगे.

वहीं प्रशासन का कहना है कि जांच में इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि इन मजदूरों को कब और किन परिस्थितियों में यहां लाया गया था. भविष्य में और भी छापे मारे जा सकते हैं.

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