Red Water: यहां 60 साल से सिर पर पानी ढो रहे हैं लोग, एकमात्र सरकारी हैंड पंप उगलता है गंदा लाल पानी!

Shivpuri Tribal Majority Village: हैरानी की बात है कि कांकेर गांव में पीने के पानी समस्या नई नहीं, बल्कि 60 साल पुरानी है. चुनाव में पेयजल पानी मुहैया कारने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादा भूल जाते हैं. इससे ग्रामीणों के पेयजल की समस्या बदस्तूर जारी है, लेकिन कोई भी सुनने वाला नहीं है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Drinking Water Crisis In Shivpuri Tribal Majority Village Kanker

Red Water: पांच नदियां वाले जिले मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में आदिवासी बहुल कांकेर गांव के लोग तपती गर्मी बूंद-बूंद पानी को मोहताज है. सरकारी रिकॉर्ड में जल संवर्धन और जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर में जल है, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले 60 सालों से लोग यहां गंदा, मटमैला और दूषित लाल रंग का पानी पीने को मजबूर हैं.

1000 आबादी वाले आदिवासी बाहुल कांकेर गांव में पेयजल के लिए एक मात्र सहारा सरकारी नल है, लेकिन सरकारी नल से निकलते दूषित लाल पानी बीमारी को दावत देने जैसा है. इसलिए लोग सिर पर बर्तन रखकर तपती गर्मी के बीच सिंध नदी से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं.

अब बर्तन के सहारे नहीं पार करनी होगी नदी, आजादी के 78 साल बाद यहां हो रहा सड़क व पुल का निर्माण

बदरवास तहसील के कांकेर गांव में हैंडपंप लगातार उगल रहा है लाल रंग का पानी

रिपोर्ट के मुताबिक जिले के कई गांव और कुछ शहरी इलाकों में पानी की समस्या लगातार विकराल हो रही है, जिससे बूंद-बूंद पेयजल के लिए लोग मोहताज है. 1000 आबादी वाले जिले की बदरवास तहसील के कांकेर गांव में हैंडपंप खूनी रंग का पानी उगल रहे हैं. हैंडपंप से निकलते लाल पानी के चलते गांव वाले अब पेयजल के लिए सिंध नदी पर निर्भर हैं.

तपती गर्मी में रोजाना सिर पर बर्तन लेकर सिंध नदी की ओर बढ़ते हुए दिखते हैं लोग

गौरतलब है जिला मुख्यालय से लगभग 55 से 60 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य गांव कांकेर में पीने के पानी के लिए 1000 आबादी वाले पूरे गांव के लोग अपने सिर पर खाली बर्तन लेकर सिंध नदी की धार की तरफ बढ़ते हुए रोजाना दिखाई देते हैं उनका यह सफर आसान नहीं है, क्योंकि लोगों को जरूरत का पानी सिर पर तपती गर्मी में ढोकर घर तक लाना पड़ता है.

Good Times: क्या हैं नियद नेल्लानार योजना, नक्सल प्रभावित गांवों के बदले हालात, ग्रामीणों में बढ़ा आत्मविश्वास

बिडंबना है कि कांकेर गांव के लोग पेयजल के लिए आज भी पथरीले रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी जांच की बात कहकर किनारे हो जाते हैं, जबकि चुनावों में वादों और आश्वासनों का बाढ़ लाने वाले राजनेता भी चुनाव बाद गायब हो जाते हैं.

Wrong Number: सरकारी नौकरी की चाहत में सबकुछ हुआ बर्बाद, एक रॉंग नंबर से विवाहिता हुई दुष्कर्म की शिकार

शिवपुरी जिला पंचायत के रिकॉर्ड में एक परिपूर्ण गांव के रूप में लिस्टेड हैं कांकेर

उल्लेखनीय है शिवपुरी जिला पंचायत के रिकॉर्ड में कांकेर गांव एक परिपूर्ण गांव के रूप में लिस्टेड हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक कांकेर गांव में पेयजल की समस्या नहीं है, लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले 60 सालों से कांकेर गांव में पेयजल की समस्या जस की तस बनी हुई है, लेकिन शिकायत के बाद संबंधित अधिकारी जांच का झुनझुना पकड़ाकर वापस लौट जाते हैं.

Advertisement

पिछले 60 सालों में कांकेर गांव में पेयजल की समस्या घटी नहीं, विकराल हुई है

जिला पंचायत विभाग के मुखिया CEO जिला पंचायत हिमांशु जैन का कहना है कि अगर गांव में पानी की समस्या है और जमीन में पानी है तो ट्यूबवेल जल्द लगवा दिया जाएगा, बाकी हम जांच करवा लेते हैं. सभी जानते हैं कि सरकारी जांच को पूरा होने में कितना वक्त लगता है, क्योंकि पिछले 60 सालों में गांव में पेयजल की समस्या घटी नहीं, विकराल हुई है.

NDTV Impact: हैंडपंप बीच में छोड़कर ठेकदार ने बना दी थी सड़क, कमिश्नर के निर्देश पर अब हटाया गया

हैरानी की बात है कि कांकेर गांव में पीने के पानी समस्या नई नहीं, बल्कि 60 साल पुरानी है. चुनाव में पेयजल पानी मुहैया कारने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादा भूल जाते हैं. इससे ग्रामीणों के पेयजल की समस्या बदस्तूर जारी है, लेकिन कोई भी सुनने वाला नहीं है.

वादों और आश्वासनों की बाढ़ लाने वाले नेता अक्सर चुनाव बाद गायब हो जाते हैं

बिडंबना यह है कि आदिवासी बहुल कांकेर गांव के लोग पेयजल के लिए आज भी पथरीले रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं. गांव में पेयजल की हकीकत को बयां करती तस्वीरें अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं, लेकिन जिम्मेदार जांच की बात कहकर किनारे हो जाते हैं, जबकि चुनावों में वादों और आश्वासनों का बाढ़ लाने वाले नेता चुनाव बाद गायब हो जाते हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें-बेटी की मौत के इंतजार में मां-बाप! इंदौर के कारोबारी दंपत्ति ने दिव्यांग को उज्जैन आश्रम में छोड़ा, 5 साल से नहीं ली सुध