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This Article is From Aug 03, 2023

शाजापुर: जिला अस्पताल में कागज पर हो रहे हैं एक्स-रे ! सबूत देखकर भी CMO का इनकार

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की हालत बहुत अच्छी नहीं है. शाजापुर जिला अस्पताल की हालत तो कम से कम ऐसा ही कहती है. यहां मरीजों को एक्स-रे का प्रिंट फिल्म पर नहीं बल्कि कागजों पर दी जाती है...आखिर ऐसा क्यों है?

शाजापुर: जिला अस्पताल में कागज पर हो रहे हैं एक्स-रे ! सबूत देखकर भी CMO का इनकार

शाजापुर के जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर में मरीजों के एक्स-रे कागजों पर किये जा रहे हैं..आप चौंकिए मत..हम यह नहीं कह रहे कि यहां पर एक्स-रे नहीं होते, दरअसल मरीजों के एक्स-रे तो होते हैं लेकिन उनकी प्रिंट एक्स-रे फिल्म की बजाय कागजों पर दी जा रही है . परेशानी ये है कि ये सब यहां पिछले कई सालों से चल रहा है, सामान्य तौर पर एक्स-रे करवाने के बाद उसकी एक डिजिटल फिल्म मरीजों को दी जानी चाहिए लेकिन शाजापुर के जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर के एक्सरे विभाग में एक्स-रे फिल्मों की कमी के चलते मरीज को एक्स-रे करवाने के बाद एक कागज पर प्रिंट कर उसका एक्सरा दे दिया जाता है. डॉक्टर भी उसी कागज की प्रिंट को देखकर मरीज का इलाज कर लेते हैं.  

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मरीज बोले कागज के एक्स-रे को सुरक्षित रखना मुश्किल..!

जिला अस्पताल में आने वाले मरीज भी एक्स-रे फिल्म के बजाय कागज पर एक्स-रे की प्रिंट दिए जाने से खासे नाराज हैं, इलाज करवाने पहुंचे रफीक ने बताया कि कागज वाले प्रिंट के नष्ट होने और गीले होने की संभावना बनी रहती है कई बार इसी एक्स-रे को दूसरे डॉक्टर और अस्पताल में दिखाने की आवश्यकता भी पड़ती है लेकिन तब तक यह दिखाने लायक ही नहीं बचता और दोबारा एक्सरे करवाना पड़ता है,

डॉक्टर की सलाह पर एक्स-रे करवाया है लेकिन एक्स-रे फिल्म की बजाय कागज पर प्रिंट दिया गया, कागज की प्रिंट वाले इस एक्स-रे को संभालना काफी मुश्किल होता है.

रफीक

इलाज कराने आए मरीज

कई मरीजों का कहना है कि यदि एक्स-रे फिल्म पर एक्स-रे मिलता है तो उसे लंबे समय तक संभाल कर रखा जा सकता है ताकि इलाज के बाद कोई  बदलाव हो तो उसकी जांच की जा सके. मरीज अपनी मेडिकल हिस्ट्री के लिहाज से भी उसे लंबे समय तक संभाल के रख सकते हैं .

कई बीमारियों में एक्स-रे की होती है जरूरत !

अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए उनका एक्स-रे करवाना सामान्य बात है,

एक्स-रे एक तरह का सामान्य इमेजिंग टेस्ट है जिसके जरिए डॉक्टर एक्स रे को देखकर ही शरीर के अंदर की स्थितियों का पता लगाते हैं, मरीजों में हड्डियों से संबंधित बीमारी हो या फिर टीबी रोग.. फेफड़े, पेट दर्द, सूजन सहित शरीर की अंदरूनी स्थिति जानने के लिए कई बीमारियों में एक्स-रे करवाने की आवश्यकता होती है,

शाजापुर जिला अस्पताल के एक्सरे टेक्निशियन बताते हैं कि विभिन्न विभागों के डॉक्टरों की सलाह पर हर रोज यंहा 50 से ज्यादा एक्सरे विभिन्न मरीजों के किए जाते हैं और अधिकांश मरीजों को कागज पर ही प्रिंटआउट दिया जाता है और कई बार डॉक्टर और मरीज को उनके एंड्रॉयड मोबाइल पर भी एक्स-रे कॉपी उपलब्ध करवा दिया जाता है . 

सिविल सर्जन बोले- एक्स-रे फिल्म की कमी नहीं है. 

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर के सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ बीएस मैना से जब एनडीटीवी ने पूछा कि मरीज को एक्स-रे फिल्म के बजाय कागज पर प्रिंट क्यों दिया जा रहा है तो सिविल सर्जन मैना बोले पुलिस केस में एमएलसी (मेडिको लीगल केस) में एक्स-रे फिल्म उपलब्ध करवाई जाती है इसके अलावा जो मरीज मांग करता है उसे कागज के बजाय एक्सरे फिल्म पर ही एक्सरे दिया जाता है अस्पताल में एक्सरे फिल्म की कोई कमी नहीं है समय-समय पर इसकी खरीदी कर ली जाती है. 

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