यूरो प्रतीक कंपनी को झटका, एमपी हाईकोर्ट ने विवादित लौह अयस्क के परिवहन और बिक्री पर लगाई रोक

Iron Ore Case in MP High Court: विधायक संजय पाठक के परिवार की कंपनी का हजारों टन आयरन ओर बेचने के मामले में एमपी हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है. कोर्ट ने आयरन ओर की बिक्री और परिवहन पर रोक लगा दी है. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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जबलपुर हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश

Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने एक लाख 70 हजार मीट्रिक टन आयरन ओर (लौह अयस्क) के स्वामित्व और आपूर्ति को लेकर चल रहे विवाद में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. इससे मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी को झटका लगा है. हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने विधायक संजय पाठक के परिवार की कंपनी की याचिका पर कमर्शियल कोर्ट जबलपुर का 31 जुलाई 2024 का आदेश न सिर्फ निरस्त कर दिया, बल्कि मामले को फिर से सुनवाई के लिए भेजा है. साथ ही, यूरो प्रतीक कंपनी के द्वारा विवादित लौह अयस्क के परिवहन व बिक्री करने पर रोक लगा दी है.

क्या है यूरो प्रतीक कंपनी का मामला?

विधायक संजय पाठक के परिवार की जियोमिन कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में दायर अपील में कहा गया था कि वह जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में लौह अयस्क बेनीफिसिएशन प्लांट संचालित करती है, जहां निम्न-ग्रेड लौह अयस्क को सांद्र में बदला जाता है. प्रतिवादी यूरो प्रतीक कंपनी के पास सिहोरा में 1,70,000 एमटी लौह अयस्क का भंडार था. दोनों पक्षों के बीच तीन अप्रैल 2023 को समझौता हुआ, जिसके तहत यूरो प्रतीक कंपनी ने यह भंडार जियोमिन कंपनी को 525 रुपये प्रति एमटी की दर से (रायल्टी, डीएमएफ, एनएमईटी सहित) बेचने पर सहमति दी. समझौते की धारा 5.1 के अनुसार, चार अप्रैल 2023 को एक करोड़ रुपये की अग्रिम राशि मिलते ही खनिज का स्वामित्व जियोमिन कंपनी को स्थानांतरित हो गया.

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यूरो प्रतीक कंपनी पर आरोप

अपील में आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी यूरो प्रतीक कंपनी द्वारा समझौते की शर्तों का उल्लंघन करके गुप्त रूप से विवादित लौह अयस्क तीसरे पक्ष को बेचा जा रहा था. इस संबंध में अपीलकर्ता ने थाना खितौला में शिकायत भी दर्ज कराई और कलेक्टर, जबलपुर से प्रतिवादी के पक्ष में जारी ई-ट्रांजिट परमिट निरस्त करने की मांग की. साथ ही एक मामला कमर्शियल कोर्ट जबलपुर में दायर किया, जिसके 31 जुलाई 2024 को खारिज होने पर यह अपील हाईकोर्ट में दायर की गई थी.

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