Operation AAHT: महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने में भारतीय रेल (Indian Railways) के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना करते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने रेलवे को आश्वासन दिया है कि महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा (Train Journey) को सुरक्षित बनाने के उसके प्रयासों में फंडिंग बाधा नहीं बनेगी. देशभर में रेल परिसरों में पाए जाने वाले कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक पहल में, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से नई दिल्ली के रेल भवन में अपडेटेड एसओपी शुरू की है. यह एसओपी भारतीय रेल के संपर्क में आने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए मजबूत ढांचे की रूपरेखा तैयार करती है.
क्या कहते हैं आंकड़ें?
एसओपी जारी करते हुए बताया गया कि प्रतिदिन 2.3 करोड़ से अधिक लोग रेल से यात्रा करते हैं, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं-जिनमें से कई अकेले यात्रा करती हैं - ऐसे में कमजोर समूहों, विशेष रूप से किशोरों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता है, जो मानव तस्करों द्वारा शोषण का जोखिम उठाते हैं.
आरपीएफ ने पिछले पांच वर्षों में 57,564 बच्चों को तस्करी से बचाया है. इनमें 18,172 लड़कियां थीं. इसके अलावा बल ने यह सुनिश्चित किया कि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे अपने परिवारों से मिल जाएं. 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत, आरपीएफ ने पूरे रेल नेटवर्क में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित पहलों की श्रृंखला शुरू की है.
भारतीय रेल और महिलाए एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रमुख रेल स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क (CHD) के विस्तार की घोषणा की, जिससे जरूरतमंद बच्चों के लिए उपलब्ध सहायता नेटवर्क को मजबूत किया जा सके. रेल परिसर में बच्चों और महिलाओं दोनों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए नई पहल और सहयोगात्मक रणनीतियों पर भी चर्चा की गई.
"हमारा मिशन: ट्रेनों में बाल तस्करी को रोकें"
आरपीएफ के लिए जारी किए गए नए नारे, "हमारा मिशन: ट्रेनों में बाल तस्करी को रोकें" के साथ, भारतीय रेल ने सभी के लिए रेल को सुरक्षित यात्रा बनाने के बारे में बताया. आरपीएफ डीजी ने कहा कि भारत के बच्चों के कल्याण को ध्यान में रखना नई एसओपी के मूल में है. यह एसओपी उन जोखिम वाले बच्चों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करके बाल शोषण और तस्करी को रोकने की भारतीय रेल की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है, जो अपने परिवारों से अलग हो सकते हैं.
मूल रूप से किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के तहत 2015 में शुरू की गई और 2021 में अद्यतन की गई इस एसओपी को अब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के 2022 "मिशन वात्सल्य" के बाद और अपडेट किया गया है. इसमें बच्चों की पहचान, सहायता और उचित दस्तावेजीकरण करने के लिए रेल कर्मियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का विवरण दिया गया है जब तक कि वे बाल कल्याण समिति (CWC) से जुड़े हैं.
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