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Madhya Pradesh: सायबर तहसील से जन हितैषी बन रहीं रेवेन्यू विभाग की सेवाएं, 72 हजार से अधिक मामले को सुलझाया

Cyber Hehsil Project: एमपी राजस्व विभाग की सेवाओं को सरल और सहज बनाने में सायबर तहसील बहुत लाभकारी साबित हो रही है. इसके तहत  72 हजार मामलों का निराकरण किया जा चुका है.

Madhya Pradesh: सायबर तहसील से जन हितैषी बन रहीं रेवेन्यू विभाग की सेवाएं, 72 हजार से अधिक मामले को सुलझाया
सायबर तहसील परियोजना का 72 हजार लोगों को मिल चुका है लाभ

Bhopal News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) राजस्व विभाग की व्यवस्था को सायबर तहसील (Cyber Tehsil) की मदद से अधिक जनहितैषी बनाया गया है. सायबर तहसील के माध्यम से नामांतरण (Renaming) की सेवा में मानवीय हस्तक्षेप आंशिक करते हए नामांतरण प्रकरणों का न्यूनतम समय में निराकरण करने एवं नामांतरण आदेश के बाद भू-अभिलेखों में अमल सुनिश्चित करने सत्यापित भू-अभिलेखों की प्रति नागरिकों को रियल टाइम में उपलब्ध कराने में सहायक हुई है. बता दें कि पूरे प्रदेश में इस योजना को 29 फरवरी 2024 से सभी जिलों में लागू किया गया था.

लगाने पड़ते थे कई दफ्तरों के चक्कर

प्रदेश में सायबर तहसील की स्थापना के पहले रजिस्ट्री के बाद नामांतरण कराने के लिए और उसका अमल भू-अभिलेखों में कराये जाने के लिए नागरिकों को कई कार्यालयों में जाना होता था. सायबर तहसील की स्थापना से अब अविवादित नामांतरण के प्रकरण रजिस्ट्री के बाद ऑनलाइन निराकृत हो रहे हैं. आम नागरिकों को इससे सुविधा हो गई है. सायबर तहसील की अवधारणा को साकार करने के लिये एमपी भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन के बाद, सायबर तहसील की प्रक्रिया नियम, 2022 बनाये गए थे.

72 हजार प्रकरणों का निराकरण

प्रदेश में सायबर तहसील में लगभग 72 हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया गया है तथा भू-अभिलेख में शत-प्रतिशत अमल किया जाकर, नागरिकों को रियल टाइम में नामांतरण आदेश एवं अद्यतन अभिलेख की प्रतियां डिजिटल स्वरूप में (व्हाटसएप, ई-मेल) उपलब्ध कराई गई हैं. इसके लिये चार अलग-अलग पोर्टल (आरसीएमएस, वेब जीआईएस (भूलेख), संपदा, सारा) से इंटिग्रेशन किया गया है.

सायबर तहसील की प्रमुख विशेषताएं

सायबर तहसील "सिंगल विंडो" सुविधा के माध्यम से नामांतरण होता है. रजिस्ट्री के बाद कहीं भी जाने की जरूरत नहीं. एण्ड-टू-एण्ड ऑनलाइन पेपरलेस प्रणाली है. रियल टाइम में भू-अभिलेखों का अपडेशन होने के साथ पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती है. इसमें सार्वजनिक सूचनाएं आरसीएमएस पोर्टल पर प्रदर्शित होती हैं. इसके साथ इसमें दावे एवं आपतियां ऑनलाइन प्रस्तुत करने की सुविधा है. पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन होती है. मामलों के निराकरण की औसत अवधि 17 से 20 दिन है. सायबर तहसीलदार द्वारा पारित आदेश की प्रति नागरिकों को ई-मेल / व्हाट्स-एप के माध्यम से रियल टाइम में भेजी जाती है.

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विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधिमंडलों ने किया दौरा

प्रदेश में शुरू की गई सायबर तहसील परियोजना को समझने और परियोजना का अनुसरण करने के लिये विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने सायबर तहसील व्यवस्था को समझा है. आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड की टीम ने राज्य का दौरा कर प्रणाली को समझा और इसे अपने राज्य में लागू करने के लिये अधिकारियों से चर्चा की. साथ ही, डीओएलआर भारत सरकार के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में दल द्वारा राज्य का दौरा किया गया. गुजरात राज्य के बिसेग-एन अहमदाबाद के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने सायबर तहसील प्रणाली का अध्ययन करने दौरा किया. 

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