
Negligence In Maihar : मध्य प्रदेश सरकार ने लोक सेवा केंद्रों की तरह उप लोक सेवा केंद्र स्थापित किए थे, ताकि पंचायत स्तर पर राजस्व विभाग से जुड़ी सभी सुविधाएं ग्रामीणों को सरलता से मिल सकें. लेकिन जब NDTV ने इसकी सच्चाई जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर पड़ताल की, तो उप लोक सेवा केंद्रों की सारी पोल खुल गई.
दरअसल, साल 2022 में जारी आदेश के बाद अविभाजित सतना जिले में लगभग 32 पंचायतों का चयन इस सेवा के लिए किया गया. तत्कालीन कलेक्टर ने व्यवस्थाएं बनाने के लिए संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए. ताकि ठेकेदार के माध्यम से उन केन्द्रों का संचालन हो सके.
तमाम लोक सेवाएं सिर्फ कागजों में चल रही
करीब तीन साल बाद जब इन केन्द्रों की हकीकत जांची गई, तो पता चला कि तमाम लोक सेवाएं सिर्फ कागजों में चल रही है. और कुछ सरकारी तालों में कैद हैं. एक दो जगह उप लोक सेवा केन्द्र के बोर्ड सरकारी भवनों पर टांगे गए. लेकिन ग्रामीणों को सुविधाएं आज भी नहीं मिल पा रहीं. नक्शा, खसरा जैसी सामान्य सी सेवाओं को पाने के लिए ग्रामीणों को तहसील स्तरीय मुख्यालयों में भटकना पड़ रहा है.
इन पंचायतों में उप लोक सेवा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश हुए थे
बता दें, प्रदेश में सरकार के द्वारा पांच हजार से अधिक जनसंख्या वाली पंचायतों में उप लोक सेवा केन्द्र खोलने के निर्देश जारी किए गए थे. इस दिशा निर्देश के बाद 2022 में सतना जिले के कलेक्टर अनुराग वर्मा ने आदेश जारी कर नवीन उप लोक सेवा केन्द्र स्थापित करने को कहा था. इस आदेश के मुताबिक मैहर जिले के अमरपाटन विकासखंड के ग्राम पंचायत ताला, खरमसेड़ा, बेला, मुकुंदपुर और भीष्मपुर में उप लोक सेवा केन्द्र स्थापित किया जाना था. इसी प्रकार से मैहर ब्लाक के सोनवारी, बेरमा, घुनवारा, झुकेही, जरियारी, चौपड़ा, लटागांव, जोवा, पोड़ी, और रामनगर ब्लॉक के हिनौती में उप लोक सेवा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिए गए थे.
इन जगहों पर मिले ताले
तीन साल पुराने आदेश के बाद उप लोक सेवा केन्द्रों का कैसा हाल है यह जानने के लिए वर्तमान मैहर जिले के उप लोक सेवा केन्द्र चौपड़ा और उप लोक सेवा केन्द्र बदेरा का जायजा लेने पर ताला मिला. यहां ग्रामीणों का कहना था कि केन्द्र के नाम पर पंचायत भवन का ही ताला खुलता है. लोक सेवा केन्द्र की सेवाएं यहां से प्राप्त नहीं होती जब भी कोई लोक सेवा से संबंधित काम होता है तब तहसील मुख्यालय के केन्द्र पर जाना पड़ता है.
जबकि अन्य पंचायतों में ये उप लोक सेवा केंद्र का ऑफिस तक नहीं.
आखिर कौन है जिम्मेदार?
उप लोक सेवा केन्द्र पंचायत स्तर पर खुलते तो निश्चित ही ग्रामीणों को 35 से 40 किलोमीटर की यात्रा महज एक प्रमाणित खसरे के लिए नहीं करनी पड़ती. लेकिन सभी उप लोक सेवा केन्द्र अपने स्वरूप में संचालित नहीं हो रहे हैं लिहाजा ग्रामीणों का भटकाव यथावत है. कुल मिलाकर सरकार ने जो व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे. उसमें प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता साफ पता चल रही है.
जानें क्या बोले अपर कलेक्टर
अब सवाल उठता है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या वह ठेकेदार जिसे उप लोक सेवा केन्द्र का काम मिला हुआ है, या फिर वे अधिकारी जिनकी निगरानी की जिम्मेदारी थी. जब इस संबंध में NDTV ने मैहर के अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि कुछ केंद्रों में सेवाएं संचालित नहीं हो पाई हैं, जिसके संबंध में संबंधित लोगों से जानकारी ली जाएगी. उप लोक सेवा केन्द्रों को सुचारू रूप से संचालित करने की व्यवस्था की जाएगी.
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