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This Article is From Aug 27, 2023

रतलाम: टैबलेट से छात्रों को कैसे पढ़ाएंगे शिक्षक? खुद फीचर से हैं अनजान, नेटवर्क प्रॉब्लम भी बड़ी समस्या

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शिक्षकों को दिए गए टैबलेट अब टीचर के साथ विधार्थियों के लिए सिरदर्द बन गया है. दरअसल, क्लाज रूम में पीछे बैठे विधार्थियों को टैबलेट की स्क्रीन सही से नहीं दिख पाते हैं जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. इतना ही नहीं टैबलेट को कैसे उपयोग करना है? फिलहाल इसकी भी ट्रेनिंग इन शिक्षकों को नहीं दी गई है.

रतलाम: टैबलेट से छात्रों को कैसे पढ़ाएंगे शिक्षक? खुद फीचर से हैं अनजान, नेटवर्क प्रॉब्लम भी बड़ी समस्या
शिक्षक टैबलेट से साइंस और अन्य विषय बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
रतलाम:

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मिडिल, हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल के गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षकों को टैबलेट के लिए 10 हजार रुपये खाते में दिए जा रहे हैं. हालांकि कई शिक्षकों द्वारा टैबलेट भी खरीद लिए गए हैं, लेकिन अधिकांश शिक्षकों को अभी तक ये जानकारी नहीं है कि इसका उयोग कैसे करना है.

क्लास रूम में पीछे बैठे विद्यार्थी नहीं देख पा रहे टैबलेट स्क्रीन

शिक्षकों ने 18 से 20 हजार रुपये में टैबलेट खरीदे हैं, क्योंकि इससे कम कीमत में टैबलेट उपयोगी नहीं हैं. रतलाम के शासकीय स्कूल क्रमांक 1 में शिक्षिका बच्चों को टैबलेट से पढ़ा रही हैं, लेकिन नेटवर्क की वजह से टीचर को पढ़ाने में काफी परेशानी हो रही है. वहीं अन्य कक्षा में भी शिक्षिका टैबलेट से बच्चों को विज्ञान विषय पढ़ा रही है और बच्चे लिख रहे हैं. आगे बैठे बच्चे तो टैबलेट में देख पा रहे हैं, लेकिन पीछे बैठे बच्चों को कुछ साफ नजर नहीं आ रहा है.

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नेटवर्क प्रॉब्लम बन रही समस्या

10वीं कक्षा के छात्र लक्ष्य प्रजापति बताते हैं कि टैबलेट से थोड़ा बहुत समझ में आता है. एनिमेशन में समझ आ जाता है. बाकी कुछ समझ नहीं आता तो मैम समझा देती हैं. कई बार स्कूल आने में देरी हो जाती है तो पीछे बैठना पड़ता है और पीछे से टैबलेट में कुछ साफ नजर नहीं आता है. टैबलेट से उतने अच्छे तरीके से पढ़ाई नहीं हो पाती है, जितनी मैम बोर्ड पर करवाती हैं.

देशमत 12वीं कक्षा में साइंस-मैथ्स के छात्र हैं और वो बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान कई बार नेटवर्क प्रॉब्लम हो जाती है. जिसके कारण डिटेल्स भी ठीक से नहीं आ पाती है. नेटवर्क प्रॉब्लम की वजह से टीचर भी अच्छे से नहीं पढ़ा पाते हैं.

रसायन विज्ञान की शिक्षिका वंदना जोशी ने बताया कि ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाना टैबलेट से ज़्यादा अच्छा है. टैबलेट छोटा है और ब्लैक बोर्ड बड़ा है. पीछे तक बैठे बच्चे को आसानी से नज़र आ जाता है. यह वहां के लिए उपयोगी है जहां टीचर नहीं हैं. रसायन को टैबलेट से नहीं समझा सकते. उसके लिए ब्लैक बोर्ड जरूरी है.

10 हजार में नहीं आ रहे उपयोगी टैबलेट

वंदना जोशी ने 19,500 रुपये का नया टैबलेट खरीदा है और सरकार की ओर से इन्हें 10,000 रुपये दिए जाएंगे. वंदना जोशी ने बताया कि दस हजार में कोई अच्छा टैबलेट नहीं आता..इसलिए महंगा टैबलेट लेना पड़ा. कई बार नेटवर्क प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है और फिर बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर ही समझना पड़ता है.

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10 हजार में नहीं आ रहे उपयोगी टैबलेट

शिक्षकों के लिए सिरदर्द बना टैबलेट

अब ऐसे में शिक्षकों के लिए यह टैबलेट केवल उनके लिए एक्स्ट्रा खर्च साबित होता दिख रहा है. क्योंकि बच्चों से संपर्क और स्कूल कार्य के कम्युनिकेशन के लिए मोबाइल पहले से ही सभी शिक्षकों के पास है और अब टैबलेट का कारण समझ से परे है. इतना ही नहीं टैबलेट का क्या उपयोग होगा और कैसे इसका उपयोग करना है? फिलहाल इसकी ट्रेनिंग इन शिक्षकों को नहीं दी गई है.

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टैबलेट अब टीचर के साथ विधार्थियों के लिए सिरदर्द बन गया है

बता दें कि रतलाम मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर धराड़ स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में विज्ञान के 55 छात्र- छात्राएं हैं और क्लास में टीचर इन्हें टैबलेट के माध्यम से पढ़ा रहे हैं. 

स्ट्रक्चर देखने में हो रही परेशानी

बायोलॉजी के अध्यापक डॉ. हेमेंद्रवाला ने बताया कि टैबलेट सक्सेस तो हैं, लेकिन छोटी स्क्रीन पर दिखाना पॉसिबल नहीं है. बायोलॉजी एक ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को संरचना के माध्यम से ही समझा सकते हैं. टैबलेट से पढ़ाना सक्सेस नहीं है. अगर छोटी क्लास है तो ठीक है, लेकिन बड़ी क्लास में दिक्कत आएगी.

कुमकुम शर्मा धराड़ की रहने वाली है और वो कक्षा 10वीं की छात्रा है. कुमकुम बताती है कि टैबलेट से थोड़ा कम समझ में आता है और ब्लैक बोर्ड पर अच्छे से समझ आता है.

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