Pakistan Occupied Kashmir History: मध्य प्रदेश के झाबुआ के रहने वाले प्रोफेसर डॉ. रविन्द्र सिंह (Professor Ravind Singh) को पाक अधिकृत कश्मीर (POK) का मूल निवास प्रमाण पत्र मिला है. ये खबर से आप भले ही आश्चर्यचकित हो सकते हैं, लेकिन प्रोफेसर रविन्द्र का परिवार सरकार के इस फैसले से बेहद खुश हैं. धारा 370 हटने के बाद आज़ादी के 76 साल बाद पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए परिवार का सपना पूरा हुआ है.
झाबुआ के प्रोफेसर रविन्द्र सिंह और उनका परिवार अब पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मूल निवासी कहलाएंगे. कानूनी प्रक्रिया के बाद पीओके के अपने मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र मिलने से पूरा परिवार बेहद खुश है और उन्हें उम्मीद है वे एक दिन अपने पैतृक ग्राम जरूर जा सकेंगे.
1947 में विस्थापित होकर आए थे भारत
विस्थापन का दर्द और उससे जुड़े दस्तावेज दिखाते हुए ये यह प्रोफेसर डॉ. रविन्द्र सिंह हैं, जिनके दादा और पिता अपने परिजनों के साथ 1947 में पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित होकर मध्य प्रदेश आ गए थे. आवेरा उमर खान (मुजफ्फराबाद) जो वर्तमान में पाक अधिकृत पाकिस्तान का हिस्सा है. वहां कबाइली हमले के बाद डॉ. सिंह के दादा और उनके पिता को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपना पैतृक गांव छोड़ना पड़ा था. इस दौरान उनके कई परिजन हमलों का शिकार हो गए और उन्हे अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ.
5300 परिवारों को मिला मूल निवास प्रमाण पत्र
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा 2020 में करवाए गए ऑनलाइन पंजीयन के बाद विस्थापित किए गए 5300 परिवारों को अपने मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र मिला है. प्रोफेसर सिंह समेत विस्थापित किए गए वे 5300 परिवार सरकार के इस फैसले से बेहद खुश है और उन्हें उम्मीद है कि वे कभी अपने पैतृक गांव में बिना किसी परेशानी के जा सकेंगे.