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MP News: देवास की सरकारी स्कूलों में पिछले साल से आधे हुए एडमिशन, 26 प्राथमिक शालाओं में शून्य प्रवेश

Schools in Dewas: देवास में सरकारी स्कूलों की हालत बेहत खराब है. इस बार यहां की प्राथमिक शालाओं में पिछले साल के मुकाबले आधे एडमिशन हुए हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे भी स्कूल हैं जहां एक भी एडमिशन नहीं हुए हैं.

MP News: देवास की सरकारी स्कूलों में पिछले साल से आधे हुए एडमिशन, 26 प्राथमिक शालाओं में शून्य प्रवेश
देवास के सरकारी स्कूलों में भवन, शौचालय और शिक्षकों की कमी बनी हुई है.

Less Admissions in Government Primary Schools: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास (Dewas) में इस साल सरकारी स्कूलों (Govt Schools) में कम एडमिशन हुए हैं. देवास जिले के सबसे बड़े अनुभाग से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बागली अनुभाग के सरकारी स्कूलों में इस बार कक्षा पहली में प्रवेश में रुझान कम दिखा है. इस अनुभाग में कुल 296 प्राथमिक शालाएं हैं. इनमें कुल 1344 बच्चों ने एडमिशन लिया है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले साल इन्हीं स्कूलों में कुल 2868 बच्चों ने एडमिशन कराया था. वहीं विभाग (School Education Department) का कहना है कि शासन ने कक्षा एक में प्रवेश के लिए 6 वर्ष की आयु सीमा निर्धारित की है जिसके चलते एडमिशन कम हुए हैं.

बागली अनुभाग के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कय्यूम खान का कहना है कि देवास कलेक्टर ऋषभ गुप्ता लगातार स्कूलों की स्थितियों के सुधार के लिए समीक्षा करते रहते हैं. उन्होंने लगातार दानदाताओं से मिलकर प्रत्येक स्कूल में एक स्मार्ट क्लास के लिए स्मार्ट टीवी दिलाए हैं. अब वह उपहार में बच्चों के लिए फर्नीचर का लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उसके लिए सामूहिक प्रयासों से ही सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरेगी.

पिछले साल से आधे हुए एडमिशन

बागली अनुभाग से सामने आए आंकड़ों के बाद कम एडमिशन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि अनुभाग की कुल 296 प्राथमिक शालाओं में से 270 में ही नए एडमिशन हुए हैं. इनमें से 40 स्कूलें ऐसी हैं जिनमें मात्र 1-1 बच्चों ने प्रवेश लिया है. जबकि 183 स्कूलों में 5 या उससे कम और 28 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 10 या इससे अधिक बच्चों ने एडमिशन लिया है. वहीं 26 स्कूल ऐसे हैं जिनमें एक भी बच्चों ने एडमिशन नहीं लिया है.

अब सवाल ये उठ रहे हैं कि जब शासन निशुल्क शिक्षा के साथ बच्चों को मुफ्त किताबें, भोजन और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं देता है, फिर भी सरकारी स्कूलों में प्रवेश के प्रति इतनी नीरसता क्यों है? इसके पीछे कई तरह के कारण सामने आए हैं. कई स्कूलों के जर्जर भवन और शिक्षकों की कमी कम एडमिशन का कारण बने हैं.

भवन विहीन स्कूल

बागली अनुभाग के अंतिम आदिवासी ग्राम धाराजी का प्राथमिक स्कूल भवन विहीन होकर एक निजी खप्पर वाली टपरी में लगता है. कक्षा 1 से 5 तक के लगभग 74 बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे हैं. बागली तहसील से 5 किमी दूरी पर बेहरी ग्राम पंचायत के बीड़गाव में स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल में मत्रा 2 कमरों में कक्षा 1 से 5 वीं तक की 5 कक्षाएं लगती हैं. यानि एक कमरे में दो क्लास जबकि 1 कक्षा बाहर पोर्च में लगती है. जबकि स्कूल में 4 शिक्षक हैं, लेकिन 2 कमरों में स्कूल लगने के कारण एक शिक्षक बाहर के शासकीय कार्य देखते हैं या शासन अन्य कार्यों के लिए अन्य संस्थाओं में अटैच कर देता है.

जर्जर स्कूल भवन, खेल मैदान का अभाव, जर्जर शौचालय, शिक्षक का अभाव सहित अन्य समस्याएं भी हैं जो सरकारी स्कूलों की कमियां दिखाती हैं. इस कारण बच्चों के प्रवेश लगातार गिरते जा रहे हैं.

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