MP Elephant News : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में हाल ही में 10 हाथियों की मौत ने सबको हैरान कर के रख दिया है. लेकिन इसे लेकर हुए जांच में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में पता चला है कि इन मौतों का कारण कोदो नामक पौधा हो सकता है, जो इन हाथियों के लिए जहरीला साबित हुआ. बता दें कि ये जानकारी बरेली के ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Veterinary Research Institute) की फॉरेंसिक रिपोर्ट से सामने आई है. इस रिपोर्ट की कॉपी भी NDTV के पास है. इस रिपोर्ट में बताया गया कि मृत हाथियों के शरीर के अंदरूनी अंगों और उनके विसरा की जांच की गई, जिसमें पता चला कि कोदो पौधे में एक विषाक्त पदार्थ Cyclopiasonic Acid बड़ी मात्रा में पाया गया है. हालांकि हाथियों के शरीर में बाकी सारे विषाक्त पदार्थ जैसे- HCN, नाइट्रेट-नाइट्राइट और कीटनाशकों का टेस्ट नेगेटिव रहा.... लेकिन कोदो पौधे में पाया जाने वाला Cyclopiasonic Acid ज़्यादा मात्रा में मिला.
क्या है ये Cyclopiasonic Acid और कैसे बना खतरा?
कोदो के अनाज में मौजूद यह Cyclopiasonic Acid एक तरह का फंगल टॉक्सिन है, जो बड़े पैमाने पर सेवन करने पर जहरीला हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, हाथियों के शरीर में इस जहर का स्तर 100 पार्ट्स प्रति बिलियन (ppb) से ज्यादा पाया गया. इसका मतलब है कि संभावना है कि हाथियों ने कोदो का बड़ी मात्रा में सेवन किया होगा जिससे उनके शरीर में यह जहर जानलेवा स्तर तक पहुंच गया.
वन अधिकारियों ने पहले ही जताया था शक
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप-निदेशक पीके वर्मा ने पहले ही आशंका जताई थी कि कोदो इस घटना में भूमिका निभा सकता है. उन्होंने बताया कि फंगल संक्रमण के कारण कोदो में यह जहरीला पदार्थ बन गया होगा.... जो हाथियों के लिए घातक साबित हुआ.
किसानों का क्या कहना है?
हालांकि, स्थानीय किसानों का मानना है कि कोदो उनके लिए नुकसानदेह नहीं है. किसान सुदाम ने कहा, "कोदो हमारे लिए अमृत जैसा है. हम इसे खुद भी खाते हैं और मवेशियों को भी खिलाते हैं. इससे कोई नुकसान नहीं होता. " वहीं, दूसरे किसान फर्सी ने भी इस पर सवाल उठाया, "हम इसे सालों से खाते आ रहे हैं. हमें तो कोई दिक्कत नहीं हुई . "
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आगे की जांच से आएगा साफ जवाब
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हर नमूने में Cyclopiasonic Acid का सटीक स्तर पता लगाने के लिए अतिरिक्त जांच की जा रही है. इससे येह समझने में मदद मिलेगी कि इतनी बड़ी संख्या में हाथियों की मौत कैसे हुई.
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