
Sidhi News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी जिला मुख्यालय में संचालित पीएम एक्सीलेंस कॉलेज (Prime Minister College of Excellence) को अपनी जमीन बचाना एक बड़ी चुनौती बन गई है. कॉलेज परिसर में दर्जनों से अधिक की संख्या में खपरैल आवास बनाकर लोग रह रहे हैं. इनको हटाने की कोशिश राजस्व विभाग नहीं कर रही है. दिनों दिन कॉलेज की भूमि घट रही है. अतिक्रमणकारियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है. इस संबंध में छात्र-छात्राओं में भी काफी आक्रोश है.

सीधी पीएम एक्सीलेंस कॉलेज का हाल खराब
क्या है पूरा मामला?
बताया गया कि पीएम एक्सीलेंस कॉलेज की 56 एकड़ भूमि धीरे-धीरे अतिक्रमण के चलते कम होती जा रही है. चारों तरफ से अतिक्रमणकारी कब्जा कर रहे हैं और कॉलेज प्रबंधन बेबस नजर आ रहा है. कॉलेज परिसर की बात करें या खेल मैदान की बात करें, हर तरफ अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है और अवैध कब्जे को गति मिल रही है.

सीधी पीएम एक्सीलेंस कॉलेज का हाल खराब
प्राचार्य ने कहा-पत्राचार करते-करते थक गए
पीएम एक्सीलेंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पीके सिंह ने इस मामले को लेकर कहा कि कॉलेज परिसर एवं खेल मैदान में अतिक्रमण को लेकर राजस्व विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है. लेकिन, अभी तक कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं हो सकी है. यहां तक की सीमांकन की प्रक्रिया कब हुई इसकी भी जानकारी नहीं हो पाई है. जब भी पत्र लिखा जाता है, तो सीमांकन करने की बात कही जाती है. लेकिन, आज तक कॉलेज परिसर की भूमि का सीमांकन नहीं हो पाया है. इसी कारण से अतिक्रमणकारी अपना कब्जा बनाए हुए हैं और इससे कॉलेज की व्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है.

सीधी पीएम एक्सीलेंस कॉलेज का हाल खराब
नशेड़ियों का बन गया अड्डा
बताया गया कि एक दर्जन से अधिक परिवार खपरैल मकान बनाकर बाउंड्री के भीतर कॉलेज परिसर में निवास कर रहे हैं. इनके द्वारा नशीली पदार्थ की बिक्री की जाती है, जिससे कॉलेज का माहौल खराब होता है. छात्र-छात्राओं के मन में भी डर बना रहता है.
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खेल मैदान दुर्दशा का शिकार
पीएम एक्सीलेंस कॉलेज के बगल में बना खेल मैदान दुर्दशा का शिकार हो गया है. यहां लोग कार बाइक सीखने आते हैं. ट्रेकों से सामग्री शिफ्ट होती है. यहां पिछले कई महीनों से पाइप रखी पड़ी है. इसके अलावा झुग्गी-झोपड़ी से लेकर चारों तरफ से अतिक्रमण बना हुआ है. छात्र-छात्राओं ने बताया कि खेल मैदान तो है, लेकिन यहां कभी खेल की प्रतियोगिता नहीं हो पाती है. इसके लिए दूसरे खेल मैदान में जाना पड़ता है.
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